भोपाल। गैस ट्रेजेडी की 35 वीं वर्षगांठ के मद्देनजर वर्ष 1984 में हुई न्याय के लिए अभियान चलाने वाले चार संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाया। यूनियन चारों संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार आरोप लगाते हुए कहा की कार्बाइड और डॉव केमिकल्स के साथ लगातार मिलीभगत हुई है।
दरअसल आपको बताते चलें की वर्ष 1984 में हुई भोपाल गैस ट्रेजेडी की 35 वीं वर्षगांठ के मद्देनजर न्याय के लिए अभियान चलाने वाले चार संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार पर यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल्स के साथ लगातार मिलीभगत का आरोप लगाया। भोपाल गैस पीडित महिला स्टेशनरी, भोपाल गैस पीडि़त महिला पुरूष, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन संघर्ष मोर्चा और चिल्ड्रन अगेंस्ट डॉव कार्बाइड नाम के संगठनों ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त कई दस्तावेज प्रस्तुत किए।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए एक अध्ययन का उपयोग आपदा के लिए अतिरिक्त मुआवजे के लिए उपचारात्मक याचिका को पुष्ट करने के लिए किया जा सकता है। भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस साल हमने एनआईआरएचएच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ से जो दस्तावेज प्राप्त किए हैं।
वे बताते हैं कि इसके मूल संगठन, आईसीएमआर ने एक अध्ययन के परिणामों को प्रकाशित नहीं करने का फैसला किया है, जिसमें गैस त्रासदी से प्रभावित माताओं के बच्चों में कई बार जन्म दोष पाए जाते हैं। दस्तावेजों के अनुसार, प्रमुख जांचकर्ता डॉ रुमा गलगलेकर ने पाया कि गैस के संपर्क में आने वाली 1,048 शिशुओं में से 9 प्रतिशत शिशुओं की जन्मजात विकृतियां थीं, जबकि 1,247 शिशुओं में जो कि बिना मां के पैदा हुए हैं, केवल 1.3 प्रतिशत में जन्मजात विकृतियां थीं।http://www.upkiran.org