नवरात्रि पूजन में इन सामग्रियों का है विशेष महत्व, इनके प्रयोग से माता होती हैं प्रसन्न

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नई दिल्ली, यूपी किरण। कुछ ही दिन में शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाला हैं। देवी मां के आगमन की तैयारी जोरो पर चल रही है। नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारम्भ 17 अक्तूबर से हो रहा है।

नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ नवरात्रि की पूजा ईरम्ब की जाएगी और फिर नौ दिनों तक देवी मां का पूजा-पाठ, आरती, मंत्रोचार और व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न किया जाएगा। नवरात्रि पर देवी मां को तरह-तरह की पूजा सामग्री और भोग चढ़ाया जाता हैं।  नवरात्रि के पूजन में प्रयोग होने वाली प्रत्येक पूजा सामग्री का अपना विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में मां की पूजा में किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना

वैसे तो हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और किसी धार्मिक अनुष्ठान में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है। इसीलिए हर वर्ष चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाती है। शास्त्रों में कलश को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। इसलिए नवरात्रि पर नौ दुर्गा की पूजा करते समय माता की प्रतिमा के सामने कलश की स्थापना करनी चाहिए।

नवरात्रि पर जौ का महत्व

नवरात्रि में घट स्थापना के ही दिन माता की चौकी के सामने जौ बोएं जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर जौ बोना अत्यंत शुभकारी होता है। इसीलिए कलश के सामने मिट्टी के पात्र में जौ को बोया जाता है। नवरात्रि में जौ बोने के पीछे एक तर्क यह भी है कि सृष्टि की शुरुआत में जौ ही सबसे पहली फसल थी। साथ ही ऐसी मान्यता भी है कि जौ उगने या न उगने को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान के तौर पर देखा जाता है । ऐसा माना जाता है कि यदि जौ तेज़ी से बढ़ते हैं तो घर में सुख-समृद्धि आती है वहीं अगर ये बढ़ते नहीं और मुरझाए हुए रहते हैं तो भविष्य में किसी तरह के अनिष्ट का संकेत देते हैं।

मुख्य दरवाजे पर तोरण का महत्व

नवरात्रि में माता के आगमन की खुशी में और उनका स्वागत करने के लिए घर के प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के पत्तों से बंदनवार सजाए जाते हैं। यह परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है जिसमें किसी भी शुभ कार्य या पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश एवं संचार होता है तथा नकारात्मक शक्तियां घर से भाग जाती है।

 

नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाना

हिन्दू धर्म में दीपक के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं हो सकता है। माना जाता है कि घर पर शुद्ध देसी घी के दीए जलाने पर देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा इसके प्रभाव से घर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार अखंड ज्योति को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है।

लाल गुड़हल का फूल

शासेत्रों के अनुसार देवी दुर्गा को लाल गुडहल का फूल बहुत ही प्रिय होता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त लाल गुड़हल का फूल अर्पित करता है माता उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है। इसलिए नवरात्रि पूजन में लाल गुड़हल का फूल साता को अवश्य अर्पित करना चाहिए।

नारियल

हिन्दू धर्म में प्रत्येक पवित्र और शुभ कार्यों का आरंभ करने में नारियल को जरूर रखा जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि नारियल में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए नवरात्रि पूजन के दौरान कलश स्थापना के साथ लाल कपड़े में नारियल जरूर रखें।

नवरात्रि में प्रयोग होने वाली अन्य पूजा साम्रगी

1- लाल चुनरी

2- लाल वस्त्र

3- श्रृंगार का सामान

4- देवी की प्रतिमा

5- देसी घी

6- अक्षत

7- कुमकुम

8- फूल और माला

9- पान,सुपारी, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे पूजा की सामग्री

10- धूप और अगरबत्ती आदि

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