शुरू से ही कृषि कानून आंदोलन में शामिल रहे निहंग सिखों ने कानून कैंसिल के साथ ही घर वापसी शुरू कर दी है। एक दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध प्रदर्शन जारी रखने की घोषणा के बावजूद बीते कल को कुंडली धरना स्थल पर मौजूद निहंग अपना माल और अपने घोड़ों को दो ट्रकों में भरकर वापस लौटने लगे हैं।
उनका कहना है कि यह आंदोलन कृषि कानूनों के विरूद्ध था और सरकार ने उनकी मांग मान ली है। अन्य छोटी-छोटी मांगों पर फैसला संयुक्त किसान मोर्चा करेगा।
बीते कल को कुंडली के टीडीआई मॉल के पास धरना दे रहे गुरदासपुर के एक पंथ काली गुरुनानक नामक एक निहंग समूह ने वापसी की घोषणा की। निहंग जत्थेदारों ने न केवल अपना सामान पैक कर ट्रकों में लाद दिया, बल्कि अपने घोड़ों को ट्रकों में डालकर वापस लौटने लगे। उन्होंने धरना स्थल पर बने अपने अस्थाई आश्रय से सारा सामान इकट्ठा किया और तंबू भी उखाड़ दिए।
इन लोगों ने एक ट्रक में सामान लदा जबकि दूसरे ने अपने घोड़ों को ढोया। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के विरूद्ध आंदोलन शुरू हुआ। सरकार ने कानून वापस लेकर उनकी मांग मान ली। अब उन्हें जाने का आदेश दिया गया है। शेष छोटी मांगों को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देखा जाएगा। उनके आंदोलन के चलते सरकार ने नरम रुख अपनाते हुए अन्य मांगों पर बातचीत शुरू कर दी है। कमेटी बनाने की बात चल रही है। इसलिए अब इस तरह के आंदोलन को चलाने का कोई विशेष औचित्य नहीं है।