इजराइल का जानी-दुश्मन था ये शख्स, इस्त्रायली ठिकानों को आए दिन बनाता था निशाना

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यरूशलेम॥ इजराइल और फिलिस्तीन का झगड़ा तो जगजाहिर है। पूरे विश्व इस बारें में जानती है की दोनों एक दूसरे से इस कदर नफरत करते हैं, जैसे सांप नेवले से करता है। इसी झगड़े से लगभग 55 वर्ष पूर्व एक ऐसा फिलिस्तीनी नेता उभरकर सामने आया था, जिसे बाद में इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाने लगा है।

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इस फिलिस्तीनी नेता को गुजरे लगभग 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी इसके मौत की गुत्थी उलझी हुई है। तो आज हुमा आपको इसी बारें में बताने जा रहे है। जिससे इजराइल इतनी नफरत करता था और क्यों उसकी मौत एक रहस्य बनी हुई है।

बता दें की इस शख्स का नाम है यासिर अराफात। दरअसल, कई ऑर्गनाइजेशनों को मिलाकर 1964 में एक बड़ा संगठन फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) बनाया गया था, जिसका मकसद था फिलिस्तीनीयों के हक हासिल करना। यासिर अराफात 1968 में इसी संगठन के मुखिया बने थे।

अराफात के नेतृत्व में उनके ऑर्गनाइजेशन पीएलओ ने शांति के बजाय सशस्त्र संघर्ष पर अधिक जोर दिया, जिसके निशाने पर हमेशा से इजराइलही रहा। विमानों का अपहरण, लोगों को बंधक बनाना और पूरे विश्व में इस्त्रायली ठिकानों को निशाना संगठन का मकसद बन गया था।

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जानकारी के लिए बता दें असल में अराफात इजराइल के अस्तित्व के सख्त विरूद्ध थे, मगर 1988 में उनकी छवि अचानक ही बदल गई और सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने वाला यह शख्स संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आया। पहली बार किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करने वाले शख्स को ये सम्मान हासिल हुआ था। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। ये भी माना जाता है कि नेहरू-गांधी परिवार के साथ अराफात के बहुत करीबी रिश्ते थे।

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कहते हैं कि इंदिरा गांधी को वो अपनी बड़ी बहन मानते थे। यह भी कहा जाता है कि 1991 के चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने राजीव गांधी पर होने वाले जानलेवा हमले को लेकर आगाह भी किया था। यासिर अराफात की मौत की खबर 11 नवंबर, 2004 को मिली थी।

ये भी बताया गया कि उनकी मौत बीमारी की वजह से हुई, लेकिन कुछ ही महीनों बाद यह दावा किया गया कि उनकी मौत जहर से हुई है और इसका आरोप लगा इजराइल पर। इसके बाद जांच के लिए उनके शव को कब्र से निकाला गया। स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि उनके शव के अवशेषों में रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 मिला था। हालांकि अब भी उनकी मौत विश्व के लिए एक पहेली ही बनी हुई है, जिसपर से शायद ही कभी पर्दा उठ पाए।

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