पाकिस्तान के लिए 19 अप्रैल का सबेरा, एक नई मुसीबत लेकर आया। पूरे पाकिस्तान में लब्बैक-लब्बैक का नारा बुलंद हो रहा है और हड़ताल की घोषणा हो गई है। तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान हर हाल में फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने के लिए हिंसक आंदोलन पर उतारू है।
बता दें कि फ्रांस के एक टीचर ने इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद साहब का एक कॉर्टून बनाया था, जिसे लेकर इस्लामी दुनिया ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। 18 अप्रैल की पूरी रात पाकिस्तान की मरकजी सरकार तहरीक-ए लब्बैक के नुमांइदों से बात करती रही, किंतु कोई हल नहीं निकला। इस बीच कल शाम बंधक बनाए गए 6 पुलिसकर्मियों को छुड़ाने में इमरान सरकार कामयाब रही, किंतु वह तहरीक-ए लब्बैक के कारकूनों को लाहौर के यतीम चौक से हटाने में पूरी तरह असफल रही।
बीते कल यानि 18 अप्रैल को पूरे दिन लाहौर में खून खराबा होता रहा। लब्बैक के कारकूनों ने यतीम चौक के पास के थाने पर हमला कर दिया। एक डीएसपी सहित 6 पुलिसकर्मियों को अगवा कर लिया। पुलिस के साथ सीधे संघर्ष में दर्जनों कारकून मारे गए हैं और अभी तक कम से कम सात पुलिसकर्मियों की भी जान गई है।
पाकिस्तान बंद करने के ऐलान में केवल तहरीक-ए लब्बैक पाकिस्तान ही शामिल नहीं है, बल्कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के सरबरा मौलाना फजलुर्रहमान ने भी इसे समर्थन दिया है। पीडीएम पाकिस्तान की 11 विपक्षी पार्टियों का गठबंधन है जो इमरान सरकार को उखाड़ फेंकने का अभियान चला रहा है। पीडीएम में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और हाल तक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी शामिल रही है।
अधिकतर एंकरों का मानना है कि इमरान खान इस आंदोलन को गलत तरीके से डील कर रही है। पहले तो इस तहरीक को यह लिखित आश्वासन दिया कि 20 अप्रैल तक फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निकालने का प्रस्ताव नेशनल एसेम्बली में लाया जाएगा, किंतु बाद में इमरान सरकार इस बात से मुकर गई।
अफगान शांति वार्ता को लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाकर दबाव बनाया हुआ है और अब फ्रांस के साथ उसके विवाद के बाद पूरे यूरोप के साथ पाकिस्तान के रिश्ते प्रभावित होने के आसार बन गए हैं। एफएटीएफ की अगली बैठक फ्रांस के नेतृत्व में ही होनी है। इस समय पाकिस्तान के लिए आगे कुंआ और पीछे खाई की स्थिति बन गई है।