नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां लोगों के लिए बहुत कुछ है. हमारे देश में हजारों प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, इनमें से कुछ मंदिर रहस्यमयी माने जाते हैं। इसके साथ ही यहां कई ऐसे कुंड भी हैं, जिनके बारे में रहस्यमयी कहानियां प्रचलित हैं। आज हम आपको एक ऐसे कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके पानी का स्रोत किसी को नहीं पता।
लोगों ने जाने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। इस कुंड का पानी इतना चमत्कारी है कि इसके पानी की तीन बूंद पीने से प्यास बुझ जाती है। दरअसल, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में भीमकुंड नाम का एक कुंड है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव अपने वनवास के दौरान यहां से जा रहे थे। तभी द्रौपदी को प्यास लगी। उसके बाद पांडव पास में ही पानी खोजने लगे लेकिन जब पानी कहीं नहीं मिला। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने नकुल को याद दिलाया कि उसके पास इतनी शक्ति है कि वह पाताल की गहराइयों में जल की खोज कर सकता है। इसके बाद नकुल ने ध्यान किया।
तब उन्हें पता चला कि पानी कहां है। लेकिन पानी कैसे मिले की समस्या खत्म नहीं हुई। प्राचीन कथा के अनुसार, द्रौपदी को प्यास से पीड़ित देखकर भीम ने अपनी गदा से जलस्थल पर प्रहार किया। गदा के प्रभाव से जमीन में कई छेद हो गए, जिनसे पानी निकलने लगा। पानी का स्रोत जमीन की सतह से लगभग तीस फीट नीचे था। तब युधिष्ठिर ने अर्जुन से अपने तीरंदाजी कौशल दिखाने और पानी तक पहुंचने का रास्ता बनाने को कहा। अर्जुन ने अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़ियाँ बनाईं। इन्हीं सीढ़ियों से द्रौपदी जल स्रोत पर पहुंची और पानी पीकर वापस आ गई। यह कुंड भीम की गदा से बना था, इसलिए इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाने लगा।