अबकी बार इस तरह खूब खेलें होली, भाग जाएगा कोरोना

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अजब-गजब॥ कोई मनाये-ना मनाये, भारतवासियों सहित विश्वभर को इस बार होली मनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहिए है। होली-दिवाली जैसे त्योहारों के पारंपरिक विधिविधान के पीछे साइंटिफिक रीज़न्स हैं। होली और दिवाली जैसे त्योहार क्रमशः मार्च-नवंबर मे होते हैं। सामान्य तापमान वाले इन महीनों में तमाम वायरस/किटाणु/वैक्टीरिया प्रभावी होते हैं। इसलिए इन त्योहारों के धार्मिक रीतिरिवाज, खानपान, पूजा-पाठ इत्यादि इन किटाणुओं को नष्ट करते हैं।

हर चौराहे पर होलिकादहन राक्षस रूपी किटाणुओं को नष्ट करते हैं। दहन/हवन का धुंआ आसपास के इलाकों के कोने-कोने में फागिंग का काम करता है। दीपावली में अलइयां-बलइयां जलाना, घरों में सफाई-पुताई करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि सामान्य तापमान वाले नवंबर में पनप रहे जहरीले और जानलेवा वाइरस को नष्ट किया जा सके।

इसलिए आज जब जानलेना और लाइलाज कोरोना वायरस से भारत सहित सारी दुनिया थर्रायी हुई है तो इस वायरस को भगाने का यही इलाज है कि होली जैसे त्योहार को पूरी परंपराओं और विधिविधान के साथ जम कर मनाया जाये। बल्कि इस बार भारत के मुस्लिम मोहल्लों में भी होलिका दहन किया जाये। दुनिया के तमाम देशों के साथ मुस्लिम देशों में भी होलिका दहन किया जाये।

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