इस बार 25 जुलाई दिन रविवार से शुरू होगा सावन का पावन महीना

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इस बार 25 जुलाई दिन रविवार से शुरू होगा सावन का पावन महीना। देखा जाएं तो इस बार सावन माह 29 दिनों का है। देवाधिदेव बाबा भोलेनाथ की उपासना के इस पवित्र महीने में एक दिन में दो तिथि समायोजित हो गई है। 22 अगस्त रविवार को सावन समाप्त होगा।

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खास बात यह है कि रविवार से आरंभ होने वाला सावन का महीना रविवार को ही समाप्त होगा। सावन में सबसे ज्यादा आध्यात्मिक महत्व रखने वाला दिन सोमवार है। इस बार चार सोमवार ही होंगे। यानी कोरोना काल को देखते हुए भगवान शिव कम समय में ही भक्तों की फरियाद सुनेंगे।

इस बार चार सोमवार होंगे-

पहली सोमवारी 26 जुलाई, दूसरी 2 अगस्त, तीसरी 9 अगस्त और चौथी सोमवारी 16 अगस्त को है। श्रावण मास का सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं फलदायी माना जाता है। सोमवारी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि माना जाता है कि सावन मास भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है।

स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार, देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। पिता के खिलाफ होकर उन्होंने शिव से विवाह किया, लेकिन पिता द्वारा शिव को अपमानित करने पर उन्होंने शरीर त्याग दिया। इसके पश्चात माता सती ने हिमालय और नैना की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया।

इस जन्म में भी शिव से विवाह के लिए उन्होंने श्रावण मास में निराहार रहते हुए कठोर व्रत किया। इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनसे विवाह किया। श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं। औघड़दानी शिव की प्रसन्नता और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से सोमवार व्रत रखा जाता है।

अगर विवाह में अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए। आयु या स्वास्थ्य बाधा हो, तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है। 16 सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम माना गया है।

पूजा में रखें ध्‍यान

सावन में शिवलिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेलपत्र अर्पित किया जाता है। सावन में शिवजी का पार्थिव पूजन, शिव सहस्त्रनाम का पाठ, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक बिल्वपत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

मान्यता है कि शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। तुलसी का भी प्रयोग भगवान शिवजी की पूजा में नहीं किया जाता है। शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

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