डेस्क। जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने गत 07 अगस्त की शाम टोक्यो में इतिहास रचा। वह एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने। उनकी उपलब्धि पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। उल्लास के इस माहौल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह उत्सव मनाने का समय है या शर्म की बात है? उनके इस टिप्पणी पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं।
दरअसल, जस्टिस काटजू ने इस संबंध में ट्वीट किया कि यह उत्सव मनाने का समय है या शर्म की बात है? टोक्यो ओलंपिक में भारतीय सिर्फ 1 स्वर्ण पदक जीतने का जश्न मना रहे हैं। भारत की आबादी लगभग 135 करोड़ है। ऑस्ट्रेलिया की आबादी 2.58 करोड़ है। उसने 17 गोल्ड मेडल जीते हैं। दक्षिण कोरिया की आबादी 5.1 करोड़ है। उसने 6 स्वर्ण पदक जीते हैं। केन्या की आबादी 5.5 करोड़ है। उसने 6 स्वर्ण पदक जीते हैं।
जस्टिस काटजू ने आगे लिखा कि क्यूबा की आबादी 1.13 करोड़ है। उसने 6 गोल्ड मेडल जीते हैं। जमैका की आबादी सिर्फ 29 लाख है। उसने 4 गोल्ड मेडल जीते हैं। ट्वीट में उन्होंने आगे भी कई कम आबादी वाले देशों का उदाहरण दिया, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में एक से ज्यादा स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने लिखा, क्रोएशिया की आबादी 40 लाख है। उसने 3 स्वर्ण पदक जीते हैं। स्लोवानिया की आबादी 20 लाख है। उसने 3 गोल्ड मेडल जीते हैं।
इसी तरह पूर्व जस्टिस ने कई अन्य छोटे देशों का उदाहरण देते हुए आगे लिखा कि सर्बिया की आबादी 69 लाख है, उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। यूगांडा की आबादी 4.4 करोड़ है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। इक्वाडोर की आबादी 1.7 करोड़ है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। इजरायल की आबादी 88 लाख है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। उज्बेकिस्तान की आबादी 3.36 करोड़ है। उसने 2 स्वर्ण पदक जीते हैं। कतर की आबादी 28 लाख है। उसने 2 स्वर्ण पदक जीते हैं। कोसोवा की आबादी 19 लाख है। उसने 3 गोल्ड मेडल जीते हैं।
दरअसल, जस्टिस मार्कंडेय काटजू टोक्यो ओलंपिक में 135 करोड़ की आबादी वाले विशाल देश भारत को महज एक स्वर्ण पदक मिलने पर बाद सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कुछ अन्य देशों के आंकड़े साझा करते हुए भारत में एक गोल्ड मिलने पर मनाए जा रहे जश्न पर सवाल उठा दिया है। उनकी इस टिप्पणी पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं।