सेना प्रमुख नरवणे ने दिया चौंकाने वाला बयान, कहा- चीन और पाकिस्तान की॰॰॰

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इंडियन आर्मी के चीफ एमएम नरवणे ने कहा कि हम केवल पूर्वी लद्दाख में ही नहीं बल्कि पूरे LAC पर अलर्ट हैं और हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत के संकेत हैं। हमें टू फ्रंट खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। जनरल एमएम नरवणे मंगलवार को वार्षिक प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे।

इंडियन आर्मी के चीफ ने कहा कि हम ईस्टर्न लद्दाख पर ही नहीं बल्कि पूरे नॉर्दर्न बॉर्डर पर नजर रखे हैं। सेंट्रल कमांड में चीन और भारत के सैनिक आमने सामने नहीं हैं पर फ्रिक्शन पॉइंट वहां भी हैं। चीन सेना के साथ 8 दौर की वार्ता हुई और हम 9 दौर की वार्ता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आर्मी पूरी तरह हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है, चाहे आंतरिक चुनौती हो या बाहरी।

जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि सेना की कैपेबिलिटी बढ़ाने के लिए हमें पिछले साल जरूरत के मुताबिक कुल बजट का 15 फीसदी हिस्सा रक्षा मंत्रालय को मिला। पिछले साल जो हुआ उससे यह साफ है कि रीस्ट्रक्चरिंग और कैपेबिलिटी बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए इस बार मंत्रालय के जरिए बजट की मांग की गई है।

एमएम नरवणे ने कहा कि कश्मीर में हालत सुधरे हैं लेकिन अभी भी हालात ऐसे नहीं है कि जम्मू कश्मीर से आर्मी को हटाया जाए। नॉर्थ ईस्ट से आर्मी की एक ब्रिगेड हटाई गई है। हालात की समीक्षा हो रही है जिसके बाद एक या दो ब्रिगेड और हटाई जा सकती है। जिसके बाद हम अपने प्राइमरी टास्क यानी एक्सटरनल सिक्योरिटी पर फोकस करेंगे।

सेना प्रमुख ने कहा कि हम वक्त वक्त पर संभावित खतरों को लेकर रिव्यू करते रहते हैं। उसी हिसाब से प्लानिंग करते रहते हैं, तैनाती करते हैं, पॉलिसी बनाते हैं। पाकिस्तान और चीन मिलकर बड़ा खतरा हो सकते हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता, हम उसी हिसाब से अपनी प्लानिंग कर रहे हैं। नरवणे ने कहा कि अलग अलग आतंकी संगठनों में भर्ती अभी भी हो रही है। हमारी कोशिश है कि उन्हें रोका जाए। हमारा सद्भावना प्रोजेक्ट चल रहा है। कोशिशों की वजह से ही भर्ती हर साल कम होती जा रही है। जैसे जैसे ज्यादा विकास होगा, वैसे भर्ती कम होगी।

एलएसी पर चीन की तरफ से जो मोबलाइजेशन हुआ था वह नया नहीं था, वह हर साल ट्रेनिंग के लिए आते हैं। हमारी नजर भी थी मगर वह ऐसा करेंगे, ऐसा अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। फर्स्ट मूवर एडवांटेज उन्हें मिला। जैसा हमें अगस्त में मिला और हमने उन्हें सरप्राइज दिया। जनरल नरवणे ने कहा कि 8वें राउंड की कोर कमांडर मीटिंग में चीन के साथ कई मुद्दों पर सहमति बनी है और अब 9वैं दौर की वार्ता का इंतजार है। उम्मीद है कि बातचीत से हल निकलेगा मगर हर स्थिति के लिए हम तैयार हैं। एलएसी पर गतिरोध का हम बातचीत से हल चाहते हैं। उस पॉइंट पर सहमति हो सकती है, जिससे हमारे राष्ट्रीय हित प्रभावित ना हो। अगर गतिरोध लंबा चलता है तो चलने दो, हम इसके लिए तैयार हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या एलएसी से चीन के सैनिक पीछे गए हैं? इस पर उन्होंने कहा कि चीन के सैनिक अपने ट्रेनिंग एरिया में थे, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वह अपने गैरेसन में वापस गए। हालांकि गतिरोध के पॉइंट पर न चीन के सैनिक कम हुए हैं ना ही हमारे। एलएसी पर हालत में कोई बदलाव नहीं आया है। गर्मियों में हर साल तिब्बत पठार में चीनी सैनिक ट्रेनिंग के लिए आते हैं और सर्दियों में वापस चले जाते हैं। उनकी वहां मौजूदगी से या वहां से जाने से कोई असर नहीं पड़ता, इसका कोई खास महत्व नहीं है। एलएसी पर जहां गतिरोध हैं वहां सैनिक कम नहीं हुए हैं।

जनरल नरवणे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आर्मी एविएशन में अब तक महिला ऑफिसर सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी पर ही थीं मगर अब इस साल जुलाई से जब कोर्स शुरू होगा तब महिलाएं फ्लाईंग विंग में भी शामिल होंगी। एक साल बाद आर्मी एविएशन में महिला फाइटर पायलट होंगी। इस बारे में पिछले महीने ही मैंने यह प्रपोजल मूव किया है और जल्द ही आर्मी एविएशन में महिला पायलट होंगी।

जनरल नरवणे ने कहा कि पिछले दिनों यूएई, सऊदी अरब, साउथ कोरिया के विजिट में साफ हुआ कि वह हमारे साथ डिफेंस कोऑपरेशन और बढ़ाना चाहते हैं। सैनिकों में तनाव बढ़ने की जो खबरें आई, मैंने भी देखी। पर उस स्टडी का सैंपल साइज 400 था, उस आधार पर यह नहीं कह सकते कि स्ट्रेस है या नहीं। वैसे स्ट्रेस में मैं भी हूं। स्ट्रेस होना बुरी बात नहीं है। परफॉर्मेंस सुधरता है। सैनिकों में सुसाइड का आंकड़ा हर साल घट रहा है। यह गलत है कि हर साल 100 या ज्यादा सैनिक सुसाइड कर रहे हैं।

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