POCSO ACT के तहत बच्ची के निजी अंग में उंगली डालना अपराध, सुप्रीम कोर्ट करेगा एग्जामिन

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नई दिल्ली: यदि एक नाबालिग लड़की यह बयान देती है कि उसके निजी अंग में उंगली डाली गयी तो क्या यह प्रकरण पोक्सों (POCSO ACT) के तहत रेप का बनेगा। यह सवाल पूछते हुए Supreme Court ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया है और जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट इस प्रकरण का एग्जामिन करने का निर्णय लिया है क्या यह मामला पोक्सो के तहत दर्ज होगा।POCSO ACT - Supreme Court

दोषी को अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान

आपको बता दें कि पोक्सो (POCSO ACT) में पेनेट्रिटिव सेक्सुअल असॉल्ट प्रकरण में धारा-4 के तहत दोषी को अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को पोक्सो की धारा-3 बी के तहत दोषी करारा था। पर केरल हाई कोर्ट ने आरोपी को धारा-8 का दोषी माना। तब मोहम्मद सादिक ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

क्या है पोक्सो कानून (POCSO ACT) ?

18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल नेचर का अपराध इसके तहत आता है। ऐसे प्रकरणों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। 2012 में यह कानून बना है।  (POCSO ACT)

धारा-7 के तहत सेक्सुअल असॉल्ट को परिभाषित है।

सेक्सुअल मंशा से किसी बच्चे का प्राइवेट पार्ट टच करना या कराना धारा—8 के तहत 3—5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान।

धारा-11 में बच्चों के साथ सेक्सुअल हरासमेंट परिभाषित है। (POCSO ACT)

कोई बच्चों के सामने सेक्सुअल नेचर का हावभाव या प्राइवेट पार्ट दिखाता है तो तीन साल सजा का प्रावधान।

कोई बच्चों का इस्तेमाल पोर्नोग्राफी के लिए कहता है तो वह भी गंभीर अपराध। (POCSO ACT)

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