वैश्विक परिस्थितियों में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फ़रवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट (Union Budget 2021-22) पेश करेंगी। भारत के लिए कोरोना अभिशाप के साथ वरदान भी साबित हो रहा है। दरअसल, चीन की करतूतों से आजिज दुनिया की निगाहों में भारत ही एशिया में चीन का विकल्प है। इसी उम्मीद के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने निवेश को चीन से भारत में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा देश में इस समय रोजगार के अवसरों की बेहद कमीं है।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय घाटा पिछले साल से दोगुना 6 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है। इसके बावजूद सितंबर से देश की अर्थव्यवस्था में कुछ तेजी दिख रही है। इस वजह से अक्टूबर से दिसंबर के तीन महीने में रिकार्ड 3.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का जीएसटी संग्रह हुआ है। इसी तरह विदेशी निवेशकों का भारतीय कंपनियों पर भरोसा भी बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप शेयर मार्केट में 1.40 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश आया है। (Union Budget 2021-22)
इस तरह कोरोना काल के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था संभलने लगी है। हालांकि यह बढ़ोत्तरी रोजगार विहीन है। आर्थिक जानकारों का कहना है कि देश में रोजगार के अवसर पड़ा करने के लिए भारत को चीन की तरह ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना पड़ेगा। इससे से आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न भी साकार होगा। (Union Budget 2021-22)
कोरोना वैक्सीन आने और संक्रमण घटने के साथ ही अर्थव्यवस्था के और ज्यादा संभलने की उम्मीद है, लेकिन देश को रोजगार के अवसर बढ़ाने वाली वृद्धि की दरकार है। निर्मला सीतारमण के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार के मोर्चे पर ही है। करोड़ों बेरोजगार आगामी बजट में अपने लिए ढेर साड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। यह तभी संभव है जब इस बजट के जरिये देश में ‘इज ऑफ़ डूइंग’ बिजनेस का माहौल बने। इसके लिए आधारभूत ढांचे को मजबूत करना पड़ेगा। देश में ‘सिंगल विंडो’ अनुमति सिस्टम विकसित करना होगा। (Union Budget 2021-22)