लखनऊ। आयुष महकमे (Ayush department) के अफसरों ने आपदा में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की खरीद में भी अवसर खोज लिया। तमाम नियम व कायदों को ताक पर रखकर विभाग ने 100 करोड़ की दवाइयां बिना टेंडर के ही खरीद लीं। यह सभी दवाइयां एक ही फर्म आईपीसीएल से खरीदी गईं। खास यह है कि खरीदी गई दवाओं की कीमत बाजार दर से कई गुना ज्यादा है। जिससे सरकार को करोड़ो रूपये के राजस्व का नुकसान हुआ। साफ है कि दवाओं की खरीद में नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन हुआ। फर्म से खरीदी गई दवाओं के दरों की तुलना बाजार दर से नहीं की गई।
मजे की बात यह है कि बिना टेंडर की खरीद के पीछे जिस नियम का हवाला दिया है। वह प्रथम दृष्टया संदेहास्पद है। खरीद को सही ठहराने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अपर सचिव प्रमोद पाठक के जिस पत्र का हवाला दिया जा रहा है। उसमें भी यह कहा गया है कि महकमा आईएमपीसीएल (IMPCL) के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम व अन्य सहकारी कम्पनियों से दवाएं ले सकता है। बस इसी की आड़ में महकमे ने आईएमपीसीएल से यह खरीद कर ली। ऐसे में लाख टके का सवाल उठता है कि आखिरकार आयुष महकमा आईएमपीसीएल पर इतना मेहरबान क्यों है।
आपको बता दें कि लगातार तीन साल से आयुष महकमा आईएमपीसीएल से ही करोड़ों रुपए के दवाओं की खरीद बिना टेंडर के कर रहा है। पिछले वर्ष यानी 2019 में विभाग ने आईएमपीसीएल से करीबन 50 करोड़ की दवाएं खरीदी थी और उसके पिछले वर्ष 2018 में आयुष विभाग ने इसी फर्म से करीबन 48 करोड़ की दवाएं खरीदी थी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि 2019 में खरीदी गई दवाएं 6 महीने बाद सप्लाई की गई थी जबकि उसका अग्रिम भुगतान पहले ही कर दिया गया था।
विभागीय जानकारों के मुताबिक आयुष विभाग एक बार फिर बिना टेंडर के इसी फर्म से दवाएं खरीदने की तैयारी में है। इसके लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। आयुष महकमे का यह कदम पूरी खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रही है। इस बारे में सवाल पूछने पर जिम्मेदार केंद्रीय अपर सचिव प्रमोद पाठक के पत्र का हवाला देकर अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हैं।