यूपी सरकार कर सकती है सरकारी नौकरी में बड़ा बदलाव, जानें विस्तार से..

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लखनऊ, 13 सितम्बर, यूपी किरण। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अब सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। इसके तहत अब समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्तियों में चयन के बाद पांच वर्ष तक संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करना होगा। इस पांच वर्ष के दौरान हर छह माह में कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाएगा और साल में 60 फ़ीसदी से कम अंक पाने वाले कर्मचारी सेवा से बाहर हो जाएंगे। लिहाजा पांच साल बाद उन्हीं कर्मचारी को नियमित सेवा में रखा जाएगा जिन्हें 60 फ़ीसदी अंक मिलेंगे। इस दौरान कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे।

सूत्रों के मुताबिक कार्मिक विभाग इस प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट के समक्ष लाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सभी विभागों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। सभी विभागों से सुझाव लेने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे का तर्क यह है कि इस व्यवस्था से कर्मचारियों की दक्षता बढ़ेगी साथ ही नैतिकता देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास होगा। इतना ही नहीं सरकार पर वेतन का खर्च भी कम होगा।

गौरतलब है कि मौजूदा व्यवस्था में अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया में चयनित कर्मचारियों को एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति दी जाती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह वेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। एक या दो वर्षों के प्रोबेशन अवधि के दौरान वे वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं। इसके बाद इन्हें नियमित किया जाता है। लेकिन प्रस्तावित नई व्यवस्था के तहत पांच वर्ष बाद ही मौलिक नियुक्ति की जाएगी। नई व्यवस्था में तय फार्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें प्रतिवर्ष 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। जो पांच वर्ष की सेवा तय शर्तों के साथ पूरी कर सकेंगे, उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित व्यवस्था समस्त सरकारी विभागों के समूह ख व समूह ग के पदों पर लागू होगी। यह मृतक आश्रित कोटे से से भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर भी लागू होगी। हालांकि इसके दायरे से केवल पीसीएस, पीपीएस और पीसीएस-जे के पद ही बाहर होंगे।

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