सीएम पोर्टल पर शिकायतों का ऐसा भी निपटारा: सड़क पर अतिक्रमण के लगाए लाल निशान, पर जांच रिपोर्ट में बताया कोई अवैध निर्माण नहीं
लखनऊ। आपको जानकर ताज्जुब होगा की राजधानी में एक ऐसी सड़क है। जिस पर स्थानीय निवासियों ने 1.50 मीटर तक स्थायी निर्माण करा रखा है। नतीजतन सड़क संकरी हो गयी है। जिसका खामियाजा अपने रोजमर्रा के जीवन में आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं पारा इलाके में देवपुर पारा से जलालपुर तक के सड़क की। यदि आप इस इलाके के आस पास रहते हैं तो इस समस्या से बाखूबी वाकिफ होंगे। हालत यह है कि यदि जाम में एम्बूलेंस भी फंस जाए तो समय से मरीज का अस्पताल पहुंचना मुश्किल है। ऐसा नहीं की सड़क पर अवैध अतिक्रमण हटाने के सिलसिले में शिकायत नहीं हुई। ताजा मामले में सिर्फ कागजों में कार्रवाई की खानापूर्ति कर मामले को रफा दफा कर दिया गया है।
एक तरफ अतिक्रमण पर लगाए लाल निशान, दूसरी ओर कागजों में मामला निस्तारित
एक स्थानीय निवासी ने इस संबंध में आईजीआरएस पोर्टल पर आनलाइन शिकायत भी की। लोक निर्माण विभाग तुरंत सक्रिय भी हुआ और सड़क पर बने अवैध निर्माणों पर लाल निशान भी लगाए गएं। सड़क की चौड़ाई 3.40 मीटर है। तस्वीरों में आप साफ देख सकते हैं कि कोई निर्माण सड़क की जमीन पर 1.40 मीटर तक हुआ है तो कोई निर्माण .50 मीटर तक। इससे साफ समझा जा सकता है कि लोक निर्माण विभाग के अफसरों और स्थानीय अराजक तत्वों के गठजोड़ की वजह से नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि आनलाइन शिकायत के बाद लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने एक तरफ अवैध निर्माण पर लाल निशान लगाए और दूसरी ओर आनन फानन में कागजी खानापूर्ति कर मामले का निस्तारण कर दिया। पर मौके पर अब भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
लिखित तौर पर पीडब्लूडी ने दी यह जानकारी
लोक निर्माण विभाग की तरफ से शिकायतकर्ता को लिखित रूप में अवगत भी कराया गया है कि देवपुर पारा से जलालपुर तक मार्ग की वर्तमान चौड़ाई लगभग 3.40 मीटर है। मार्ग के दोनों तरफ कच्ची पटरी व नाली निर्मित है। मार्ग पर कोई स्थायी अतिक्रमण नहीं है। समय-समय पर अस्थायी अतिक्रमण को चिन्हित कर नगर निगम के सहयोग से हटवाया जाता है। उन्होंने स्थानीय निवासियों के उन सभी निर्माणों की तरफ अपनी आंखे मूंद ली है। जिन्होंने सड़क की जमीन पर ही मकान या दुकान का एक हिस्सा बना रखा है। मजे की बात यह है कि अवैध निर्माण पर निशान लोक निर्माण विभाग कर्मियों द्वारा ही लगाया गया है। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग के अफसर अवैध अतिक्रमण हटाने से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? यह विवेचना का विषय हो सकता है।
अवैध निर्माण इलाके के लिए बना अभिशाप
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह अवैध निर्माण इलाके के लिए एक अभिशाप बन गया है। पर इलाके को इस अभिशाप से मुक्ति दिलाने में अफसर रूचि नहीं ले रहे हैं। योगी सरकार पुन: सत्ता में आयी तो स्थानीय निवासियों की उम्मीदें बढी थी। उन्हें जाम से मुक्ति मिलेगी। पर उनकी यह उम्मीद अब टूटती नजर आ रही है। वह भी तब जब योगी सरकार की अवैध अतिक्रमण पर जीरो टालरेंस नीति जग जाहिर है। उनकी तुंरत न्याय की अवधारणा को सूबे में ही नहीं बल्कि देश भर में लोकप्रियता हासिल हुई। पर लोक निर्माण विभाग के अफसर सरकार की नीति के उलट काम करते दिख रहे हैं।
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