अभी हाल ही में यूएस की थिंक टैंक र्प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) ने एक रिपोर्ट जारी की। हिंदुस्तान की जनसंख्या में कई धर्मों की हिस्सेदारी पर कई फिगर्स (आकंड़े) पेश किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2040 तक मुसलमानों तथा हिंदुओं की प्रजनन दर में अंतर समाप्त हो जाएगा।
बता दें कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुसलमानों के जनसंख्या इजाफे को लेकर बार-बार दावे किए गए। बीजेपी कहती है कि मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने से गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख और ईसाई) को खतरा है। दूसरा मसला बांग्लादेश के मुसलमान शरणार्थियों (Muslim Refugees) का है।
एक आर्टिकल में दिग्गज जर्नलिस्ट स्वामीनाथन अय्यर लिखते हैं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पेश किए जा रहे इन दोनों डर के पीछे ठोस वजह नहीं है। उन्होंने आंकड़ों के आधार पर समझाया है कि हिंदुस्तान में हिंदुओं की बहुलता को कोई नुकसान नहीं है।
स्वतंत्रता के पश्चात हुई हर जनगणना में मुसलमानों का हिस्सा बढ़ा है। 1951 में जहां हिंदुस्तान की जनसंख्या में 9.8 प्रतिशत मुस्लिम थे, 2011 में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 14.2% हो गई। इसके मुकाबले हिंदुओं का हिस्सा 84.1% से घटकर 79.8% रह गया।
आपको बता दें कि 6 दशकों में मुसलमानों की हिस्सेदारी में 4.4% की बढ़त बहुत क्रमिक रही है। ये ट्रेंड जारी रहा तो इस सदी के अंत तक भारत में मुस्लिमों की आबादी 20 फीसद से ज्यादा नहीं होगी। ये बढ़त और धीमी होगी क्योंकि मुसलमानों और हिंदुओं के मध्य प्रजनन का अंतर कम हो रहा है और शायद कुछ वर्षों में समाप्त ही हो जाए।