मुजरिम विजय दत्त उर्फ मामून उर्फ मामनूर बहुत खतरनाक का क्रिमनल है। वो युवतियों को खरीदने के बाद उनकी वर्जिनिटी भी चेक करता था। कईं दिनों तक दुष्कर्म कर उन्हें दलालों को सौंप देता था। उसके बदले मुँह मांगी रकम वसूलता था। पुलिस का दावा है कि विजय युवतियों को कोडवर्ड में “गाड़ी’ बुलाता था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार पूछताछ में बताया कि उसने मुनीर, टीटू बंगाली, अरोख, मीना चौहान, ज्योति, पलक, शिवनारायण, सैजल उर्फ राकेश सितवानी, अमरीन, आफरीन, सोनाली, परवेज, उज्जवल ठाकुर, बबलू, प्रदीप जोशी, प्रदीप ठाकुर, दिलीप बाबा, प्रमोद पाटीदार, नेहा, रजनी समेत लगभग पांच सौ दलालों का नेटवर्क तैयार कर चुका था।
फेक आइडी से पासपोर्ट बनवाने के बाद बांग्लादेश समेत अन्य मुल्कों की यात्राएं करता था। उसने बताया कि मुंबई में मकान व फ्लैट किराये पर लेने के लिए माया विस्वास नामक लड़की से शादी कर ली। उसके नाम से ही अनुबंध करवाए थे। हालांकि बच्चा होने के बाद माया उसे छोड़ कर चली गई।
आरोपित युवतों को एमडीएम का डोज देता था ताकि रोज 6 से 8 लोगों के पास भेजा जा सके। विरोध करने पर युवतियों की न केवल पिटाई करता था बल्कि नाजुक अंगों में क्षति भी पहुंचा देता था। फेक आधार और बांग्लादेशी होने के कारण युवतियां उसकी कंप्लेन भी नहीं कर सकती थी।
पुलिस के अनुसार, एसआइ प्रियंका शर्मा, प्रधान आरक्षक भरत बड़े और आरक्षक कुलदीप ने बयान लिए तो बताया पत्नी जोशना लड़की चिन्हित कर वीडियो कॉल कर दिखा देती थी। वो फिगर देख कर प्राइस बता देता था। दलाल के पास भेजने पर पांच हजार रुपए रोज अकाउंट में जमा करवाता था।
पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो छोड़ने के लिए लाखों रुपए का लालच देने लगा। रियम नाम जानने के लिए अधिकारियों का बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक की उसकी मामून ने उसके एजेंव तथा प्रेमिकाओं को भी ये नहीं बताया था कि वो बांग्लादेशी है।