उत्तराखंड- कोरोना महामारी में घाघरिया से बेदखली के फरमान पर भ्यूंडार घाटी में उबाल

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जोशीमठ। साल 2013 की भीषण आपदा के बाद हेमकुंड साहिब-लोकपाल तथा फूलों की घाटी के मुख्य पड़ाव घाघरिया में व्यवसाय कर किसी तरह आपदा के दंश से उबर रहे भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों पर अब बेदखली की तलवार लटक गई है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क द्वारा बाकायदा विज्ञापन प्रकाशित करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट का हवाला दिया गया गया है।

Bhuindar Valley

इसमें साफ कहा गया है कि हाईकोर्ट के निर्देश व भारतीय वन अधिनियम की धाराओं का उपयोग करते हुए अवैध अध्यासन की कार्यवाही प्रांरभ कर दी गई है। प्रबंधक हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट सहित 49 लोगों की सूची भी जारी की गई है, जिनको बेदखल किया जाना है। बेदखली का नोटिस प्रकाशित होने के बाद अब भ्यूंडार घाटी के बाशिंदों में तीखा आक्रोश है।

दरसअल सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब, हिंदुओं के पवित्र तीर्थ लक्ष्मण मंदिर-लोकपाल तथा विश्व धरोहर फूलों की घाटी का मुख्य पड़ाव ही घाघरिया है। यह स्थान हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी पंहुचने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए एकमात्र आवासीय स्थान है। इसीलिए जैसे-जैसे इन क्षेत्रों मे श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या बढ़ती गई। यहां के निवासियों ने भी अपनी छानियों को पक्के निर्माण मे तब्दील करना शुरू किया लेकिन तब किसी भी प्रकार की कोई रोक-टोक किसी भी स्तर से नहीं हुई।

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अब बीते वर्षो मे किसी संस्था द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट मे याचिका दायर करने के बाद यहां के निवासियों के सामने बेदखली का खतरा मंडराने लगा। यहां के लोगों का कहना है कि वन महकमे पर हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन की बाध्यता हो सकती हैं, लेकिन कोरोना काल मे जब हाईकोर्ट में भी नियमित कामकाज नहीं हो पा रहे हैं तो अचानक ऐसा फरफान जारी करने की पीछे क्या मंशा हो सकती है, यह समझ से परे है। हालांकि वन विभाग द्वारा जारी नोटिस मे स्पष्ट किया गया है कि नवबर 2019 मे आरक्षित वन भूमि पर किए गए अवैध अतिक्रमण को खाली करने का नोटिस भी जारी किया गया था।

हालांकि घाघरिया में भ्यूंडार के ग्रामीणों के गौचर, पनघट व छानिया तब से ही मौजूद रही हैं जब हेमकुंड साहिब प्रकट भी नहीं हुए थे। फूलो की घाटी व लोकपाल तीर्थ मे स्थानीय लोगों व प्रकृति प्रेमी पर्यटकों का आवागमन यदा-कदा होता ही था। भ्यूंडार-पुलना के ग्रामीण ग्रीष्म काल मे अपने पशुओ के संग घाघरिया मे ही जीवन यापन करते थे। बाद के वर्षो मे हेमकुंड साहिब की यात्रा बढ़ने व फूलों की घाटी का व्यापक प्रचार-प्रसार होने के बाद इन क्षेत्रों मे श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी और भ्यूॉडार घाटी के ग्रामीणों ने अपनी छानियों को पक्के निर्माण मे तब्दील करना शुरू किया।

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तब वन विभाग व प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई पांबदी नही लगाई गई। फलस्वरूप बड़ी संख्या मे युवा होटल व ढाबा व्यवसाय के माध्यम से स्वरोजगार करने लगे और एक बड़ी आबादी का गांव पलायन होने से बच गया लेकिन अब बेदखली के आदेश प्रकाशित होने से पूरी भ्यूूडार घाटी मे तीखा आक्रोश है।

भ्यूडार के पूर्व सरपंच विजेन्द्र सिंह चौहान कहते हैं कि पूर्व मे वन महकमे द्वारा जारी बेदखली के नोटिस के बाद ग्रामीण प्रतिनिधियों ने वन महकमे के आलाधिकारियेां के अलावा मुख्य मंत्री व मुख्य सचिव से भी मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया और सभी स्तर से इस समस्या का समय रहते समाधान निकाले जाने का आश्वासन दिया गया।

इस बीच अचानक बेदखल करने का फरमान अखबारों मे प्रकाशित होने से आपदा का दंश झेल रहे भ्यूॅडार के ग्रामीण बेहद परेशान हैं। अब अपनी रोजी रोटी के एकमात्र साधन को बचाने के लिए आंदेालन व न्यायायल की शरण ही एकमात्र विकल्प रह गया है। बदरीनाथ के विधायक महेन्द्र भट्ट कहते हैं कि उनके द्वारा ग्रामीणों के साथ ही मुख्य मंत्री से वार्ता हुई है।

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कई बार इस संबध मे वार्ताएं हो चुकी हैं, बीच का रास्ता निकालने की योजना पर सरकार कार्य कर रही थी कि कोरोना महामारी के कारण इस पर समय रहते निर्णय नहीं लिया जा सका। उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से इस संबध मे वार्ता कर उचित हल निकालने का प्रयास करेंगे और क्षेत्र को राजस्व ग्राम घोषित किए जाने को लेकर भी आवश्यक प्रक्रियाओं को जल्द से जल्द पूरा करने का भरसक प्रयास करेगे।

उधर, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक किसन चंद का कहना है कि जिला प्रशासन से घाघरिया से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के लिए सुरक्षा बल की मांग की गई है। सुरक्षा बल उपलब्ध होते ही अवैध अतिक्रमण हटने की कार्यवाही शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने की लागत का एस्टीमेट भी तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन कर रहे हैं।

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