उत्तराखंड : स्‍वयं कोरोना संक्रमित फिर भी मरीजों की चिंता, भगवान से कम नहीं डॉ. सलूजा

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श्रीनगर। कोरोना संक्रमण के इस दौर में हर व्‍यक्ति अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए चिंतित है।लेकिन कुछ ऐसे भी व्‍यक्ति हैं जिन्‍हें दूसरों की चिंता अपने से ज्‍यादा है। उपजिला चिकित्‍सालय में तैनात वरिष्‍ठ सर्जन डॉ. लोकेश सलूजा में उन्‍हीं व्‍यक्तियों में शामिल हैं। कोरोना संक्रमित होने के कारण होम आइसोलेट होने के बावजूद भी फोन पर लगातार मरीजों के सपंर्क में हैं। यहीं नहीं आपातकालीन सेवा में आने वाले सर्जरी के मामलोंं में भी कई बार डॉ. सलूजा फोन पर आकस्मिक सेवा में तैनात चिकित्‍सक व मेडिकल स्‍टाफ का सहयोग कर रहे हैं।
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11 वर्षो से श्रीनगर के संयुक्‍त चिकित्‍सालय में तैनात

डॉ. लोकेश सलूजा पिछले 11 वर्षो से श्रीनगर के संयुक्‍त चिकित्‍सालय में तैनात है। उक्‍त चिकित्‍सालय को अब उप जिला चिकित्‍सालय का दर्जा मिल चुका है। सौम्‍य व सरल स्‍वभाव के डॉ.  सलूजा स्‍थानीय लोगों में खासे लोक  प्रिय है। कई बार  मरीज या उनके तीमादार इनसे सडक पर चलते हुए या फिर शादी जैसे समारोह में अपनी बीमारी के बारे में बताते हैं, तो डॉक्‍टर सलूजा वहीं ओपीडी शुरू कर देते हैं।

लगातार मरीजों के संपर्क में

मरीजों के प्रति डॉ. सलूजा संवेदनशीलता इस बात से स्‍पष्‍ट होती है कि स्‍वयं कोरोना संक्रमित होने के कारण होम आइसोलेट होने के बावजूद भी फोन से लगातार मरीजों के संपर्क में हैं। बीते 29 अप्रैल को डॉक्‍टर लोकेश सलूजा की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। तब से डॉ. सलूजा होम आइसोलेशन में हैं।
डॉ. सलूजा कहते हैं कि मरीजों के स्‍वास्‍थ्‍य कीजिम्‍मेदारी भी उनकी है। कई  बार मरीज व उनके तीमारदार बडी उम्‍मीद  के साथ उन्‍हें फोन करते हैं। ऐसे में अगर अगर मैं फोन नहीं  उठाउगांं तो उन्‍हें बडी निराशा होगी। डॉक्‍टर के बात करने से ही मरीजों को काफी हौसला मिलता है और मनोबल भी बढ़ता है।

प्रति दिन करीब 50से अधिक मरीजों को फोन पर सलाह दे रहे

डॉ. सलूजा बताते हैं कि होम आइसोलेट होने के बावजूद वह प्रति दिन करीब 50से अधिक मरीजों को फोन पर सलाह दे रहे हैं। डॉ. सलूजा कहते हैं कि उन्‍हें पहाड में रह कर लोगों की सेवा करना अच्‍छा लगता है। इसलिए वह पिछले 11 सालों से श्रीनगर में हैं।
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