उत्तराखंड सरकार का विवादित ऐलान, लव जिहाद को लेकर खूब हो रही किरकरी

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जहां लव जेहाद जैसे मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्य प्रदेश तथा हरियाणा में कड़े कानून बना रही है, वहीं उत्तराखंड सरकार का एक विवादित आदेश चर्चाओं में है। उत्तराखंड सरकार ने उसे हटाने का निर्णय लिया है। इस आदेश के तहत पूर्ववर्ती सरकार ने तथाकथित राष्ट्रीय एकता को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय  और अंतर धार्मिक विवाहों को सम्मानित करने का निर्णय लिया था।
Uttarakhand CM Trivendra
इसी संदर्भ में समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने अपने एक आदेश में कहा कि ‘राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय तथा अंतर धार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं।’  समाज कल्याण अधिकारी का यही आदेश सरकार के लिए समस्या का कारण बन गया। अब प्रदेश में अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन परियोजना को लेकर हिन्दूवादी नेता सड़कों पर हैं। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर अब उत्तराखंड सरकार शासनादेश से अंतर धार्मिक विवाह हटाने जा रही है।
अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह को प्रोत्साहित करने को लेकर वर्ष 1976 में पूर्ववर्ती प्रांत उत्तर प्रदेश में नियमावली बनाई गई थी। इस नियमावली के तहत अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह करने वाले दंपति को प्रोत्साहन स्वरूप 10 हजार का रुपये देने की घोषणा की गई थी। वर्ष 2014 में तत्कालीन विजय बहुगुणा सरकार ने इस योजना के नियम-6 में पुरस्कार की धनराशि को संशोधित कर दिया था।
इसके तहत उत्तराखंड में अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह करने वाले दंपति को 50 हजार रुपये का पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान किया गया था। लव जेहाद के बढ़ते प्रकरणों के कारण यह शासनादेश अब समस्या का कारण बन गया है। इस पर उत्तराखंड सरकार ने अंतर धार्मिक विवाह शासनादेश से हटाने का निर्णय लिया है, जिस पर शीघ्र ही शासनादेश होगा।
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