मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी बचेगी ! या दिल्ली हाईकमान तय करेगा नया नेतृत्व

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

Uttrakhand News. राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक सियासी तापमान गर्म है। भाजपा नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं और तमाम ब्यूरोक्रेट्स में अटकलों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है ।सभी की जुबान पर एक ही सवाल है, क्या उन्हें राज्य में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव से पहले नया मुख्यमंत्री मिलेगा ? अब निगाहें दिल्ली दरबार के फैसले पर आकर टिक गई हैं । आइए अब इस घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से आगे बढ़ाते हुए समझते हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री के नेतृत्व परिवर्तन का जारी सियासी उथल-पुथल के बीच ऊंट किस करवट बैठेगा ।Uttrakhand News --

तारीख थी 6 मार्च, दिन शनिवार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अचानक सियासत के अनुभवी और एक्सपर्ट पंडितों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व परिवर्तन का बहुत जोर से ‘शंख’ बजाया । जब इस शंख की आवाज उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के पास पहुंची तब उन्होंने मीडिया के सामने आकर पूरे आत्मविश्वास और जोरदार आवाज में कहा कि उत्तराखंड सरकार में ‘सब कुछ ठीक-ठाक है’ । लेकिन बंशीधर भगत अंदर ही अंदर सच्चाई जान रहे थे लेकिन उसे बाहर लाना नहीं चाहते थे ।

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दूसरी बात यह रही कि शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भेजे गए दो पर्यवेक्षक, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का अचानक देहरादून आना नेतृत्व परिवर्तन को लेकर काफी कुछ बता गया था । उसके एक दिन बाद 7 मार्च रविवार को पूरे दिन अटकलों का दौर जारी रहा ।Uttrakhand News-

दूसरी ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह सामान्य तरीके से अपना कामकाज निपटाते रहे । एक बार फिर सोमवार सुबह से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में तेजी के साथ सन्नाटा पसरने लगा । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कुछ कार्यक्रमों में जाने की तैयारी कर रहे थे उसके बाद ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण भी जाना था ।

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तभी एक बार फिर दिल्ली हाईकमान से अचानक मुख्यमंत्री का बुलावा आ जाता है । दिल्ली से आए फरमान के बाद आनन-फानन में 11 बजे सीएम रावत प्लेन से राजधानी दिल्ली के लिए उड़ जाते हैं । मुख्यमंत्री के आज दिल्ली रवाना होने के बाद एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कहते फिर रहे हैं कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक है ?Uttrakhand News

बंशीधर ने कहा कि मुख्यमंत्री सामान्य तौर पर दिल्ली गए है। पार्टी में कोई कलह नहीं है। वर्ष 2022 का विधान सभा चुनाव भी त्रिवेंद्र के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। लेकिन अब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोधी खेमा मजबूत नजर आ रहा है ।

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आपको बता दें कि पार्टी के सियासी गलियारों में पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर केंद्रीय नेतृत्व के अगले कदम को लेकर फैसला करने के लिए तैयार है । मालूम हो कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलने की मांग राज्य में पार्टी का एक धड़ा काफी लंबे समय से कर रहा है और माना जा रहा है कि इसी को लेकर दो पर्यवेक्षकों को उत्तराखंड भेजा गया था ।

परीक्षकों की रिपोर्ट के बाद भाजपा हाईकमान के पाले में सीएम त्रिवेंद्र का भविष्य—

उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री के बदलने को लेकर अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं । देहरादून भाजपा के पर्यवेक्षक के तौर पर गए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उत्तराखंड के प्रभारी और पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम ने अपनी रिपोर्ट बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के भाग्य का फैसला इसी रिपोर्ट पर माना जा रहा है ।

उत्तराखंड में हो रही सीएम बदलने की तैयारी, त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर इनको बनाया जाएगा॰॰॰

 

बता दें कि पिछलेेेे शनिवार को रमन सिंह ने देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में कोर ग्रुप की बैठक में मौजूद हर सदस्य से अलग-अलग बातचीत की । बाद में रमन सिंह मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में भी गए जहां पार्टी के 40 विधायक मौजूद थे। कोर ग्रुप की बैठक के बाद सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय भी गए थे ।

इस दौरान दोनों पर्यवेक्षकों ने केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी अलग से मुलाकात की थी । तेजी से घटे घटनाक्रम ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दे दी। यही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोधी खेमे में कई मंत्री और विधायक पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं । उत्तराखंड के चार मंत्री और दर्जन भर विधायक दिल्ली में मौजूद हैं।

त्रिवेंद्र सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पूर्व सांसद बलराज पासी, विधायक खजान दास, हरबंस कपूर, हरबजन सिंह चीमा आदि नेता भी दिल्ली में मौजूद हैं। बता दें कि 9 मार्च, मंगलवार को दिल्ली में आयोजित होने वाली भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में उत्तराखंड मामले में चर्चा होने की संभावना है । राजधानी देहरादून के सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगले मुख्यमंत्री की रेस में धन सिंह रावत और सतपाल महाराज का नाम सबसे आगे चल रहा है।

इसके अलावा नैनीताल से सांसद अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी में से किसी एक को राज्य की बागडोर सौंपी जा सकती है। बता दें कि पिछले कुछ समय से अनिल बलूनी गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफी करीबी माने जाते हैं । तीन महीने पहले जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने दिल्ली में अपना सरकारी आवास खाली किया था तब भाजपा हाईकमान ने प्रियंका का आवास राज्यसभा सांसद बलूनी को आवंटित किया था ।

उत्तराखंड में सीएम के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कांग्रेस मे छाई बहार—

राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के सीएम को बदलने की रूपरेखा लिखी जा रही है । उत्तराखंड में अगले साल के शुरुआत में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसे लेकर विपक्ष जोरदार तरीके से तैयारी में जुट गया है । वहीं बीजेपी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर पार्टी में एक गुट ने मोर्चा खोल दिया है । त्रिवेंद्र सरकार में मचे सियासी घमासान के बीच राज्य की कांग्रेस में बाहर छा गई है।

कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि भाजपा हाईकमान कांग्रेस शासित राज्य सरकारों में फूट डालकर अपनी सरकार बनाती है, अब उसको स्वयं उत्तराखंड में वैसे ही हालातों का सामना करना पड़ रहा है । उत्तराखंड में जारी तीन दिनों से सियासी भूचाल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर तंज करते हुए लिखा कि ‘उत्तराखंड भाजपा में सत्ता की खुली लड़ाई, चिंताजनक स्थिति बयान कर रही है। कुछ उजाड़ू बल्द जिनको भाजपा पैसारूपी घास दिखाकर हमारे घर से चुराकर ले गई, उसका आनंद अब भाजपा को भी आ रहा है।

हरीश रावत ने लिखा कि भाजपा ने जो बोया, उसको काटना पड़ेगाा’। वहीं उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि बजट सत्र को बीच में छोड़ने से साबित हो रहा है कि भाजपा में जबरदस्त अंदरूनी घमासान है। प्रीतम सिंह ने कहा कि विपक्ष ने सदन के भीतर महंगाई, बेरोजगारी, किसान, मातृशक्ति पर लाठीचार्ज, आपदा प्रबंधन, गन्ना किसान सहित सभी जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरा। सरकार का सदन के अंदर प्रदर्शन देखकर ही कांग्रेस को इस बात का अंदाजा हो गया था कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजधानी गैरसैंण से आना भाजपा सरकार में सियासी भूचाल की पुष्टि हो गई थी।

प्रीतम ने कहा कि चुनाव के ऐनमौके पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर दूसरे को मुख्यमंत्री बनाना बताता है कि राज्य की भाजपा सरकार ने देवभूमि के लोगों को चार सालों में निराश किया है । कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार के पास विधायकों के क्षेत्र की समस्याएंं सुनने का वक्त नहीं है, वह आपसी कलह निपटाने में पूरे चार साल व्यतीत कर गई। भाजपा का ध्येय मात्र सत्ता प्राप्ति ही रहता है।

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