कोविड आपदा के डेल्टा वैरिएंट ने पहले ही इंडिया के साथ साथ विश्व (WORLD) के कई तबाही मचाई थी कि अब इसका डेल्टा प्लस वैरिएंट भी सामने आ गया है।
इसके मामले तो अभी अधिक उजागर नहीं हुए हैं, किंतु खतरे की आशंका ने सरकारी अमले को चिंता में डाल दिया है। पूरे विश्व में डेल्टा प्लस वैरिएंट के अभी 205 मामले मिले हैं, जिनमें भारत में पाए गए 40 मामले भी शामिल हैं।
एक दिन पहले ही इंडिया में ये तादाद 22 थी। कोविड-19 के वैरिएंट की पहचान की सारा इंतेजाम (solid system) होने के बावजूद उससे होने वाले खतरे का पता लगाना बड़ी बात है। किसी वैरिएंट के असर का पता लगाने में तीन से चार महीने का वक्त लग जाता है, तब तक वो भयावह रूप धारण कर चुका होता है।
new mutations की पहचान नए वैरिएंट के रूप में होती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर अफसर ने कहा कि पहली बार ब्रिटेन में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार एक नए वैरिएंट का पता लगने के बाद भारत में 10 लैबों को मिलाकर इंसाकाग (इंडियन सार्स कोव-2 जिनोमिक्स कंसोर्टियम) नाम से संगठन खड़ा किया गया। अप्रैल में इसमें और 18 लैबों को जोड़ा गया। देश के हर जिले से कोरोना संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों के सैंपल इन लैबों में भेजे जाते हैं, जहां जिनोम सिक्वेसिंग के जरिए वायरस और उसमें होने वाले म्यूटेशन का पता लगाया जाता है।
आपको बता दें कि अबकी बार संक्रमण अधिक तेजी से फैल सकता है। फिलहाल ये 9 देशों तक सीमित है और सिर्फ 205 मामले मिले हैं। भारत में भी इस वैरियंट के मामले सिर्फ महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में मिले हैं। WHO में डेल्टा की संक्रामता को देखते हुए उसके सभी वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया है।