दर्शकों को मसाला फिल्में ही पसंद आती हैं- नवाजुद्दीन सिद्दीकी

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अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी इन दिनों दर्शकों से खासे नाराज हैं, वह साफ कहते हैं कि बॉलिवुड की मसाला फिल्म देखने वाले दर्शकों से उन्हें किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं है। नवाज की मानें तो दर्शक अपनी फिल्म देखने के अपने पसंद को इम्प्रूव भी नहीं करना चाहते हैं। वल्गर और फूहड़ ह्यूमर देखने की आदत बना चुके दर्शकों को उनकी फिल्में नहीं पसंद आ रही हैं। अब मैं भी समझ गया हूं कि जो बाजार में चलता है, वही करना चाहिए।

मैंने सोचा था कि मैं अपने टाइप की फिल्में करूंगा, लेकिन जब उन फिल्मों है हश्र देखा तो यह अच्छी तरह समझ गया हूं कि जो बाजार में चलता है, वही करना चाहिए, इतना ज्यादा गहराई में जाने की कोई जरूरत नहीं है। यह बात अलग है कि मुझे एक आदत जरूर है अपनी तरह की फिल्मों में काम करने की। हाल ही में मैंने एक फिल्म रोम रोम में को पूरा किया है, जो कि एक फेस्टिवल फिल्म है। ऐसी फिल्में इसलिए करता हूं, ताकि अपनी ऐक्टिंग को निखार सकूं। आखिर मुझे खुद को भी तो जवाब देना होता है। कुछ फिल्में अपनी संतुष्टि के लिए करता हूं और कुछ फिल्में बाजार के लिए करनी पड़ती हैं।

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मुझे दर्शकों से बहुत सारी शिकायत है, दर्शक कभी नहीं सुधर सकते, मैं दर्शकों से किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं रखता हूं, दर्शकों के लिए उनकी तरह कि ही फिल्म होनी चाहिए, जिसमें 4 से 5 गाने हो, कितना भी वल्गर ह्यूमर हो, एक इमोशनल सीन हो, जिसमें दर्शकों को रोना आ जाए, यही देना चाहिए दर्शकों को। लोगों को एक ही तरह के रोमांस को देखने की आदत है, उन्हें फोटोग्राफ जैसी फिल्म देखने की आदत नहीं है।

आज टिक-टॉक के जमाने में लोगों के अंदर इत्मीनान से बैठ का फिल्म देखने की आदत नहीं है। मुझे लगता है ऑडिअंस कभी भी नहीं सुधर सकती है, इस मामले में बॉलिवुड बहुत समझदार है, दर्शकों को वही फिल्में देता है, जो उन्हें चाहिए, बॉलिवुड जानता है कि दर्शकों को इम्प्रूव नहीं होना है। बॉलिवुड ने दर्शकों पर बहुत अच्छे से रिसर्च कर रखी है। बॉलिवुड जानता है दर्शकों को सिर्फ चाय ही पिलानी है, उन्हें कॉफी नहीं चाहिए।

मैं आलोचना और आलोचना करने वालों को यही कहूंगा कि जो भी मेरी आलोचना कर रहा है, उसे मेरे जितना समझदार, अक्लमंद और पढ़ा-लिखा होना चाहता है। मैं बहुत पढ़ा-लिखा ऐक्टर हूं। मैंने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई की है, बीएनए किया है और 5 साल सिर्फ ट्रेनिंग की है, इस बात को लेकर मैं बहुत गर्व महसूस करता हूं। डॉक्टर हो और इंजीनियर हो सबको अपने काम की ट्रेनिंग लेनी पड़ती हैं, सिर्फ ऐक्टिंग में कहीं से भी लोग उठकर चले आते हैं और स्टार भी बन जाते हैं। मैं उसी की आलोचना को ग्रहण करता हूं, जिसे मैं अपने बराबर शिक्षित, समझदार और अक्लमंद समझता हूं।

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