नई दिल्ली। इंसानी गतिविधियों के कारण निकलने वाले प्रदूषण खासतौर से कार्बन उत्सर्जन का असर वायुमंडल में सदियों तक रहता है। इसकी वजह से वैश्विक गर्मी यानी ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ा गया है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। अगर इसी तरह कार्बन उत्सर्जन होता रहा तो मुंबई समेत एशिया के 50 शहर समुद्री पानी में डूब जाएंगे। ये 50 शहर चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और वियतनाम से होंगे। ये खुलासा एक नई रिपोर्ट में हुआ है।
चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और वियतनाम कोयला आधारित प्लांट बनाने में सबसे आगे हैं और इन देशों को आबादी भी दुनिया भर में सबसे अधिक है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर इन देशों पर पड़ेगा। वहीं ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़। इस देशों की जमीन का दसवां हिस्सा समुद्री पानी में डूब जाएगा। साथ ही कई द्वीपीय देश तो खत्म ही हो जायेंगे। इस बात जा खुलासा एक स्टडी में हुआ है। ये अध्ययन क्लाइमेट कंट्रोल नाम की साइट पर प्रकाशित किया गया।
इस अध्ययन में भारत से मुंबई को खतरे में दिखाया गया है। इस शोध में ये भी बताया गया है कि विश्वभर में लगभग 184 जगहें ऐसी हैं जहां पर समुद्री जलस्तर बढ़ने का सीधा असर होगा। इन शहरों का बड़ा हिस्सा या फिर पूरे शहर पानी में डूब जाएंगे। इस स्टडी में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अगले 200 साल से लेकर 2000 साल के बीच धरती का नक्शा बदल चुका होगा। जमीनें गायब हो चुकी होंगी क्योंकि अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 3 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ता है तो दुनिया भर के ग्लेशियर पिघल जाएंगे। हिमालय जैसे पहाड़ों पर मौजूद बर्फ निचले इलाकों में बाढ़ लाएगी जिसकी वजह से पूरी दुनिया का बड़ा हिस्सा बढ़ते समुद्री जलस्तर में समा जाएगा।
स्टडी में जिन शहरों को सबसे अधिक खतरा बताया गया है उनमें ओखा (1.96 फीट), तूतीकोरीन (1.93 फीट), पारादीप (1.93 फीट), मुंबई (1.90 फीट), ओखा (1.87 फीट), मैंगलोर (1.87 फीट), चेन्नई (1.87 फीट) और विशाखापट्टनम (1.77 फीट) है। यहां पर पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाका जहां पिछले साल तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने का कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है। वहां पर भी साल 2100 तक आधा फीट पानी बढ़ जाएगा।
अगले दस सालों में इन 12 जगहों पर समुद्री जलस्तर कितना बढेगा। यह अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है। कांडला, ओखा और मोरमुगाओ में 3.54 इंच, भावनगर में 6.29 इंच, मुंबई 3.14 इंच, कोच्चि में 4.33 इंच, तूतीकोरीन, चेन्नई, पारादीप और मैंगलोर में 2.75 इंच और विशाखापट्टनम में 2.36 इंच. किडरपोर में अगले दस साल तक खतरा नहीं है लेकिन भविष्य में बढ़ते जलस्तर का नुकसान इस तटीय इलाके को भी उठाना पड़ेगा।