पश्चिम बंगाल हिंसा : वाजिब सवालों से आम जनता का ध्यान हटाने की कोशिश

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राजनीतिक डेस्क। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार तृणमूल कांग्रेस की सरकार के शपथ लेने के बावजूद उग्र सियासी सरगर्मियां जारी हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कई जिलों में हिंसा हुई, जिसमे बीजेपी और टीएमसी के कई राजनीतिक कार्यकर्ता मारे गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय हिंसा की जांच कर रहा है। विश्लेषको का मानना है कि जिस तरह से बंगाल हिंसा को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास किया वह बीजेपी और संघ की दूरगामी सियासी रणनीति का हिस्सा है।

 

दरअसल बीजेपी बंगाल विधानसभा, कर्नाटक नगरपालिका चुनाव, यूपी पंचायत चुनाव में मिली हार को स्वीकार नहीं कर पा रही है। इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार की कोरोना संक्रमण को रोकने में नाकामियों से आम जनता का ध्यान हटाने के लिए चुनाव बाद हुई बंगाल हिंसा को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास कर रही है। ममता सरकार द्वारा शपथ लेने के 24 घंटे से भी कम समय में केंद्र द्वारा केंद्रीय टीम को जांच के लिए भेजने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का शपथ लेने के एक दिन बाद केंद्र द्वारा केंद्रीय टीम को जांच के लिए भेजने को लेकर आश्चर्य और पीड़ा व्यक्त की है। बताते चलें कि केंद्रीय टीम का यह दौरा बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर छेड़े गए अभियान के बाद हुआ। इस मामले में ममता बनर्जी ने कहा कि शपथ लेने के एक घंटे के भीतर, मुझे केंद्र से एक पत्र मिलता है और उनकी टीम अगले दिन, 24 घंटे से भी कम समय में पहुंच गई।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा हुए उसके बाद उसे सांप्रदायिक रंग देने के पीछे बीजेपी की भविष्य की रणनीति छिपी है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़ बीजेपी 2024 में ममता बनर्जी की अगुवाई वाले विपक्ष के संभावित गठबंधन की संभावना को खत्म करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी का मकसद है इस संभावित गठबंधन बनने के पहले ही विपक्षी नेताओं के बीच ममता की विश्वसनीयता समाप्त हो जाए।

दरअसल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों में मोदी के नेतृत्व पर सवाल भी खड़े हुए हैं। राज्य के बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरा है। इस सवालों ने 2024 के लोकसभा चुनावों को और अधिक अहम बना दिया है। इसके साथ ही बीजेपी अपने सियासी भविष्य को लेकर भी चिंतित है। इसलिए वाजिब सवालों से आम जनता का ध्यान हटाने और माहौल को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रही है।

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