नई दिल्ली॥ जहां एक ओऱ चीन ने अपनी साजिशों को अंजाम दिया था। तो वहीं दूसरी ओर अब चीन के खिलाफ भारत सरकार ने सेना को खुली छूट दी। ऐसे में देश की आक्रमकता देखकर ड्रैगन देश घबरा गया है और बार एक ही अपील कर रहा है। वो ही समझौते (शांति) की।
हिंदुस्तान-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव जारी है। हाल ही में सीमा पर हुई हिंसक झड़प में हिंदुस्तान के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान चीन के 40 के करीब सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद रक्षा मंत्री ने सेना को स्थिति को देखते हुए माकूल जवाब देने की छूट दे दी है। इतना ही नहीं फौजियों से कहा गया है कि अगर जरूरी हो तो बंदूक का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकें।
हिंदुस्तान सरकार के इस कदम के बाद चीन दोनों देश के बीच हुए शांति समझौतों की दुहाई देने लगा है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में लिखा है, ‘हिंदुस्तान और चीन के बीच में 1996 और 2005 में दो समझौते हुए। इसके अंतर्गत दोनों देश की सेना एक दूसरे के विरूद्ध सैन्य क्षमता का उपयोग वहीं करेगा।’ ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि 15 जून को हुए झड़प के दौरान भी इसका ध्यान रखा गया था।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, हिंदुस्तान दोनों देशों के सबसे महत्वपूर्ण समझौतों को तोड़ सकता है और इससे दोनों सैनिकों के आपसी अविश्वास को गंभीरता से बढ़ेगा और अवांछित सैन्य संघर्षों की संभावना बढ़ जाएगी। यह दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों द्वारा गालवान घाटी में स्थिति को शांत करने के लिए पहुंची सहमति के भी विरूद्ध है।