भारत में पहली बार कब मनाया गया था शिक्षक दिवस, जानिए इतिहास और महत्व

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किसी बच्चे को एक सफल इंसान बनाने में शिक्षक की भूमिका काफी अहम होती है। वह शिक्षक ही होता है जो बच्चे के अच्छे और बुरे का ज्ञान देता है। वह बच्चे को जीवन के कई जरूरी ज्ञान देता है ताकि वह सेक सफल जीवन जी सक। शिक्षकों के सम्मान में हर साल देशभर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों में टीचर्स का सम्मान किया जाता है।

teachers day

टीचर्स डे के दिन बच्चे टीचर वाली जिंदगी जीते हैं और पूरे स्कूल को अनुशासन के साथ खुद की जिम्मेदारी पर चलाते हैं। हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से स्कूल लंबे समय से बंद थे जो अब खुल गए हैं।

ऐसे में पिछले साल तक बच्चों ने ऑनलाइन माध्यम से ही टीचर्स डे सेलिब्रेट किया था लेकिन इस बार कई राज्यों में स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में इस बार बच्चे स्कूल में टीचर्स डे मनाएंगे। अगर आप इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में जानना चाहते हैं तो चलिए आपको इस दिन के इतिहास से लेकर महत्व के बारे में बताते हैं।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस यानी 5 सितंबर को देश भर में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन को सेलिब्रेट करने के लिए एक बार राधा कृष्णन के पास उनके कुछ शिष्य पहुंचे और उन्होंने कहा कि वे उनका जन्मदिन मनाना चाहते हैं और आप इसकी अनुमति दे दीजिए।

इस पर राधा कृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा, तो मुझे गर्व होगा। बस इसके बाद से ही हर साल 5 सितंबर के दिन को देश भर में टीचर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा। आपको बता दें कि भारत में पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था।

अब बात करें शिक्षक दिवस के इतिहास की तो पहली बार टीचर्स डे 60 के दशक में मनाया गया था। सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने कहा था कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है, जहां कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। शिक्षक केवल पढ़ाते ही नहीं हैं, बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते है।

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