पाकिस्तान में जहां अमेरिका-भारत ने मचाई थी तबाही, अब वहां इतने देश मिलकर करेंगे ये काम

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नई दिल्ली। इस साल के अंत तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की सेनाओं के बीच आतंकवाद विरोधी अभ्यास होना है लेकिन अभी तक इसमें शामिल होने के बारे में भारतीय सेना की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है। यह बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘पाब्बी एंटी-टेरर 2021’ पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में होना है जहां ओसामा को अमेरिकी ऑपरेशन में मारा गया था और 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भारत ने जैश आतंकियों के कैंप नष्ट किए थे।
SCO Country
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान देश सदस्य हैं। रूस के नेतृत्व में हर साल इन सभी देशों की सेनाएं साझा‌ युद्धाभ्यास में हिस्सा लेती हैं। अभी तक यह एक्सरसाइज रूस में ही होती आई है लेकिन यह पहला मौका है जब एससीओ देशों के बीच सैन्य अभ्यास रूस से बाहर पाकिस्तान में होने जा रहा है। हालांकि अभी तक भारतीय सेना की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह इस ‘पाब्बी एंटी-टेरर 2021’ में हिस्सा लेगी या नहीं।

भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक करके यहीं तबाह किए थे आतंकियों के लांचिंग पैड 

यह अभ्यास आयोजित करने के बारे में 18 मार्च को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना परिषद की 36वीं बैठक में फैसला लिया गया है। इस बैठक में सभी एससीओ देशों ने भाग लिया था। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा जिले में पड़ने वाला पाब्बी शहर वही इलाका है, जिसके नजदीक ऐबटाबाद में अमेरिका ने 9/11 के गुनहगार दुनिया के सबसे बड़े आतंकी ओसामा बिन लादेन को 2011 में मार गिराया था। इसके अलावा 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने यहीं बालाकोट स्ट्राइक करके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था।

विचार-विमर्श करके इस बारे में निर्णय लेगी भारत सरकार

पिछले साल सितम्बर में रूस में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों की सेनाओं के बीच रूस में आतंकवाद-निरोधी ‘कवकाज़’ अभ्यास हुआ था। इस युद्ध अभ्यास से भारत ने कोविड का बहाना करके किनारा कर लिया था क्योंकि चीनी और पाकिस्तानी सैनिकों ने भी इसमें भाग लिया था। इस बार भी इस सैन्य अभ्यास में भारत के हिस्सा लेने के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को फैसला लेना है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी भारत की यह सबसे बड़ी संस्था एनएसए अजीत डोभाल के अधीन कार्य करती है। सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार मुख्य रूप से विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय से विचार-विमर्श करके इस बारे में निर्णय लेगी।
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