Dussehra के दिन क्यों पूजा जाता है शमी का पत्ता, क्या है इसका धार्मिक महत्व, यहां जानें

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बीते 26 सितंबर से नवरात्रि का पवन पर्व शुरू हो चुका है। नवरात्रि के समापन पर इसके 10वें दिन देश भर में हर्षोल्लास के साथ दशहरा (Dussehra) मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। उस वक्त श्रीराम, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास काट रहे थे तभी दुष्ट, अहंकारी रावण ने प्रभु श्रीराम की कुटिया में माता सीता का हरण कर लिया था और उन्हें अपने साथ लंका लेकर चला गया था।

कहते हैं सीता को लंका से वापस लाने के लिए श्री राम को रावण से घोर युद्ध करना पड़ा था। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार लंका पर आक्रमण करने से पहले श्रीराम ने शमी के वृक्ष के सामने झुक कर प्रणाम किया था और अपने विजय के लिए प्रार्थना की थी। इसके बाद श्रीराम ने युद्ध में रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी तभी से ऐसी मान्यता है कि शमी की पत्तियों को स्पर्श करने मात्र से मनुष्य की सभी कष्ट और समस्याएं दूर हो जाती है। (Dussehra)

सा माना जाता है कि शमी का पेड़ घर मे लगाने से देवी देवताओं की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही शमी का पेड़ शनि देव के गुस्से से भी घर के सदस्यों की रक्षा करता है। शमी की पत्तियों को बांटने से घर में सुख -समृद्धि आती हैं। पुराणों में भी शमी के वृक्ष की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। शमी का पेड़ हमेशा घर के पूर्वोत्तर दिशा में लगाना चाहिए। ऐसा करना शुभ फलदायी होता है।(Dussehra)

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