बेटे को ही हराना चाहते हैं मुलायम, आखिर क्यों

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नई दिल्ली ।। अब बड़ा सवाल लोगों के दिमाग में उठने लगा है कि आखिर मुलायम सिंह यादव अपने ही उस बेटे को सत्ता से बेदखल क्यों करना चाहते हैं, जिस बेटे को उन्होंने मुख्यमंत्री बनाया। यही नहीं यह उनका एकलौता बेटा है। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यदि चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव से साइकिल चुनाव चिंह छींन लिया तो सपा सत्ता से बहुत दूर हो जाएगी।

उधर, चुनाव आयोग ने सपा के दोनों ही गुटों से पार्टी के स्वामित्व और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जवाब मांगा है। दावेदारी के लिए आयोग में दायर की गई याचिका पर 9 जनवरी तक स्पष्ट रुप से अपनी बात रखनी होगी। आयोग ने कहा है कि पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावेदारी से पहले आयोग को जवाब दे।

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने चुनाव की तारीखों की घोषणा करते वक्त एक सवाल के जवाब में कहा था कि समाजवादी पार्टी के दोनों गुट हमारे पास मुलाकात करने के लिए आए थे और दोनों ही पक्षों ने हमें अपने दस्तावेज दिए हैं, जिसे देखने के बाद ही किसी तरह का फैसला किया जा सकता है।

जैदी ने कहा था कि इस फैसले में कितना समय लगेगा इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है, दोनों ही पक्षों के दस्तावेजों को देखा जा रहा है, यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही किसी फैसले पर पहुंचा जा सकता है। पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जैदी ने कहा कि मुलायम सिंह और रामगोपाल यादव के तथ्यों की जांच के बाद ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा।

गौरतलब है कि यूपी में बुधवार को चुनाव आयोग ने चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया है। प्रदेश में सात चरण में चुनाव होगा और चुनाव परिणाम 11 मार्च को आएगा, लेकिन सपा के भीतर मचे घमासान का अंत होता नहीं दिख रहा है। हालांकि अखिलेश खेमे की अगुवाई कर रहे रामगोपाल यादव ने कह दिया है कि हम अखिलेश यादव के नेतृत्व में आगामी चुनाव में जाएंगे और वह ही हमारे अध्यक्ष हैं। उन्होंने पार्टी के भीतर किसी भी तरह के समझौते से साफ इनकार करते हुए कहा कि चुनाव चिन्ह पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग लेगा।

फोटोः फाइल।

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