हिंदुस्तान व पाकिस्तान ने LoC पर और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी सभी शर्तों का सख्ती से पालन करने पर 25 फरवरी को सहमति जताई। इस्लामाबाद व नई दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों देशों ने कहा कि दोनों मुल्कों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने हॉटलाइन सम्पर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और LOC एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान के रुख में बदलाव आ गया है। पड़ोसी राष्ट्र क्यों इतनी खुशमिजाजी दिखा रहा है। दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई।
आईबी के पूर्व अधिकारी अविनाश मोहनाने ने बताया कि इस प्रश्न का उत्तर बाइडन के प्रेसिडेंट बनने के बाद अमेरिका की विदेश नीति को लेकर दिए पहले वक्तव्य में मिल सकता है। अमेरिका ने इसमें चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षा के साथ ही अमेरिका के साथ प्रतिद्वंद्विता का जिक्र किया था।
यूएसए ने इस मसले में लोकतांत्रिक सहयोगियों और करीबी मित्रों से बात करने का जिक्र किया था। अमेरिका के इस बयान से स्पष्ट था कि विश्व पर आर्थिक दबदबे की चाहत के बाद विश्व दो धड़े में बंट जाएगी। इस कोल्ड वॉर में हिंदुस्तान निश्चित रूप से अमेरिकी ओर होगा। ऐसे में अमेरिका अपने पुराने सहयोगी पाकिस्तान को भी अपने साथ लाना चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि अहम मामलों पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है। और मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं।’ सैन्य अफसरों ने कहा कि संघर्ष विराम का यह मतलब नहीं कि आतंकवाद के विरूद्ध आर्मी का अभियान थम जाएगा। सतर्कता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे संघर्ष विराम समझौते को लेकर आशावादी हैं लेकिन पूरी तरह सावधानी बरतेंगे। हिंदुस्तान व पाकिस्तान ने 2003 में संघर्ष विराम समझौता किया था किंतु बीते कुछ वर्षों से शायद ही इस पर अमल हुआ।