अशोकनगर॥ जिला अस्पताल (मध्यप्रदेश) में व्यवस्थाओं के दावों के नाम पर बेहयाई की हदें पार करने के हालातों की तस्दीक बुधवार को यहां एक महिला सब इंस्पेक्टर,उसके पटवारी पति और परिवार को देखने को मिली। पटवारी पति की इलाज न मिलने से मौत हो गई। यह महिला सब इंस्पेक्टर अपने पति के इलाज के लिए सिसक-सिसक कर रोती रही किंतु अस्पताल प्रबंधन ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। यह हाल तब है कि जबकि दोनों ही सरकारी नौकरी और कोरोना संकटकाल में ड्यूटी में हैं।
जिले के चंदेरी थाने में पदस्थ महिला सब इंस्पेक्टर अद्रियाना भगत अपने बच्चों के साथ यहां जिला अस्पताल में अपने पटवारी पति के इलाज के लिए फफक-फफक कर रोती रहीं पर उन्हें अस्पताल में न तो बेड उपलब्ध हुआ और न समुचित इलाज, जिससे बुधवार की सुबह सब इंस्पेक्टर के पटवारी पति कमलेश भगत ने दम तोड़ दिया।
महिला सब इंस्पेक्टर अद्रियाना अपने पति कमलेश काे ऑक्सीजन लेवल कम हो जाने पर बीती रात करीब 12 बजे यहां जिला अस्पताल में इलाज कराने लेकर आईं थीं। आरोप है कि सब इंस्पेक्टर के पति को अस्पताल प्रबंधन कोई बेड की व्यवस्था तक नहीं करा सका जबकि उनकी ऑक्सीजन कम होने के कारण उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। जब सब इंस्पेक्टर अपने पति के इलाज के लिए गिड़गिड़ाती रहीं तब कहीं जाकर जमीन पर ही उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकी। तत्पश्चात रात्रि 12 बजे से सुबह हो जाने तक कोई भी डॉक्टर उनकी सुध लेने नहीं आया और सुबह करीब 9 बजे अस्पताल के फर्श पर ही सब इंस्पेक्टर के पति कमलेश भगत ने दम तोड़ दिया।
सब इंस्पेक्टर आंद्रियना भगत के पति कमलेश भगत जिले की मुंगावली तहसील में पटवारी के रूप में पदस्थ थे, जिनकी प्रशासन के तय किए गए कोरोना कंटेंटमेंट जोन के प्रभारी के रूप में वे ड्यूटी पर थे।
इस संबंध में मुंगावली एसडीएम राहुल गुप्ता कुछ नहीं बता पाए। हालांकि तहसीलदार दिनेश सावले का कहना है कि पटवारी कमलेश भगत कोरोना कंटेंटमेंट जोन के प्रभारी थे।
यहां जिला अस्पताल में व्यवस्था बनाने के नाम पर प्रशासन और राजनैतिकों द्वारा तमाम दावे किए जा रहे हैं लेकिन हालात पूरी तरह से विपरीत हैं और भयावह हैं। इसका अंदाजा इनसे बातों से लगाया जा सकता है कि यहां कोरोना नियंत्रण के लिए पुलिस और प्रशासन व्यवस्था बनाने के भले ही दावे कर रहा हो लेकिन पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में पदस्थ महिला सब इंस्पेक्टर को जो पीड़ा भोगनी पड़ी। इसे उनसे बेहतर कोई और नहीं जान सकता है। शासन के कोरे दावों के चलते उनके पति पटवारी को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जिला अस्पताल में तमाम अव्यवस्थायें और लापरवाह हालातों के बीच यहां अस्पताल प्रबंधन/ प्रशासनिक नौकरशाह व्यवस्थायें चौकस करने के बजाय राजनैतिज्ञ लोगों के पीछे कमदमताल करता नजर आता है। स्थानीय राजनैतिज्ञ अस्पताल में अव्यवस्थाओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आए दिन नाटकीय अंदाज में अपने समर्थकों के साथ खड़े दिखाई देते हैं।