Vishwa Ki Sabse Lambi Mashal। उत्तराखंड पर्वों को लेकर अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसमें अगर सीमांत जिले के रवांई घाटी की चर्चा करें तो यह बहुरंगी संस्कृति की धनी है। एक तरफ जहां विश्व में कार्तिक महीने दीपावली मनाई जाती है वहीं पहाड़ में ठीक एक माह बाद मंगसीर की बग्वाल को बड़ी उत्साह से मनाते हैं।
गैरबनाल राजकीय मेला देवालांग कमेटी के हेड प्रदीप गैरोला ने बताया कि अबकी मर्तबा राजकीय मेला देवलांग महापर्व इस साल 23-24 नवंबर को मनाया जाएगा। मेला कमेटी की ओर से भंडारे की भी बंदोबस्त किया गया है। (Vishwa Ki Sabse Lambi Mashal)
जिले उत्तरकाशी में बग्वाल का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जी हां, रंवाई घाटी के हर गांव में बग्वाल बड़े उत्साह और पौराणिक रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। बग्वाल के इस पर्व को रवांई घाटी का बनाल क्षेत्र देवलांग के रूप में मनाता है। जहां हजारों की तादाद में लोग जाते हैं। (Vishwa Ki Sabse Lambi Mashal)
देवलांग नौगांव के गैरबनाल में होती है। राजा रघुनाथ के मन्दिर के सामने एक लंबी देवलांग यानि एक पेड़ पर मशाल बांधकर देवलांग को खड़ा किया जाता है। बनाल पट्टी के दो थोक साठी और पनसाई इसे उठाकर “विश्व की सबसे लंबी मशाल के रूप में जलाई जाती है।” देवलांग पौराणिक सभ्यता और दैविक रूप से मनाई जाती है। आम जन इसे अपनी आस्था का प्रतीक मानते हैं गैरबनाल की देवलांग को प्रदेश सरकार ने राजकीय मेले का दर्जा दे रखा है। (Vishwa Ki Sabse Lambi Mashal)
Corrupt ADIO Rahul Singh Bhati के दबाव में DM बागपत, मुख्यमंत्री के आदेश पर साधी चुप्पी
Natwarlal Ias Officer मणि प्रसाद मिश्रा ने सचिव बनने के लिये जन्मतिथि में की हेरा-फेरी!