हिमालय की गोद में तैयार हो रहे योग साधक, करेंगे ये काम

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उत्तरकाशी। देवभूमि उत्तराखंड और योग का आदिकाल से संबंध रहा है। यहां के गगन चूमते हिमशिखरों के बीच बसे गंगोत्री और उत्तरकाशी की पहचान योग नगरी के रूप में भी है। दुनियाभर में योग का डंका बजा चुके बाबा रामदेव ने भी गंगोत्री में लंबे समय तक योग का अभ्यास किया है। हिमालय अनादिकाल से ऋषि-मुनियों की तपस्या का केंद्र रहा है। योग भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है।देश-विदेश से हजारों लोग हर साल गंगोत्री धाम आते हैं और योग सीखते हैं।

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उत्तरकाशी के कोटबंगला में स्थित विष्णुदेवानन्द आश्रम में स्वामी जनार्दन और हरिओमानंद 11 साल से योग और ऋषिकुल की परंपरा निर्वहन कर रहे हैं। विष्णुदेवानन्द आश्रम में कोटबंगला, क्षत्रपाल, संग्राली, बग्याल गांव और पाटा गांव के युवक-युवतियों को निशुल्क रोजगार दिया जा रहा है। आश्रम से योग सीखकर बच्चे देश के विभिन्न इलाकों में योग सिखा रहे हैं।

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इस समय स्वामी जनार्दन और स्वामी हरिओमानंद के आश्रम में करीब 80 युवक-युवतियां योग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। स्वामी हरिओमानंद 28 साल पहले केरल से गंगोत्री धाम साधना के लिए आए थे। स्वामी हरिओमानंद के मुताबिक गंगोत्री में योग करने के दौरान वे विष्णुदेवानन्द आश्रम में जुड़े और स्थानीय बच्चों को योग सिखाकर रोजगार से जोड़ रहे हैं।

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कोरोना संकट के बीच सुबह उत्‍तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक लोगों ने योग किया। उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा पर सेना और आइटीबीपी सहित आम लोगों ने योग किया गया। नेलांग वैली में आईटीबीपी के जवानों ने योग शिविर का आयोजन किया।

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