योगी सरकार ने एक जून को बिजली कर्मचारी संगठनों के प्रस्तावित काला दिवस पर लगाई पाबंदी

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लखनऊ। योगी सरकार ने बिजली सेक्टर के निजीकरण के लिए लाये गये विद्युत संशोधन विधेयक के खिलाफ एक जून के प्रस्तावित देशव्यापी काला दिवस को उत्तर प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार का तर्क है कि कर्मचारियों की यह पहल सूबे में लागू एस्मा के खिलाफ है, इसलिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। बिजली कर्मचारियों और उनके संगठनों ने सरकार के इस कदम का सख्त विरोध किया है। संगठनों ने इसे कर्मचारियों के बुनियादी अधिकारों पर हमले के साथ ही अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों का भी उल्लंघन करार दिया है।

वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने योगी सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए इसे पूरी तरह से संविधान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा है कि बिजली कामगारों का आंदोलन किसान, आम नागरिकों के हित में है, जबकि पावर सेक्टर को कारपोरेट्स को सौंपने की मोदी सरकार की कार्यवाही राष्ट्रीय हितों के बिल्कुल विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि इस बिल में प्रस्तावित देश के बाहर बिजली बेचने का प्रावधान पीएम मोदी के एक कार्पोरेट मित्र के लिए लाया गया है, जो कच्छ गुजरात में बन रही अपनी बिजली को पाकिस्तान को बेचने के लिए बेताब है। इसीलिए पीएम मोदी ने इस बिल को पारित कराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

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दिनकर कपूर ने बिजली कामगारों से इससे घबराने की जगह जनता को सचेत करने और सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जन जागरण शुरू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस बिल का मुख्य प्रावधान सब्सिडी व क्रास सब्सिडी खत्म करना, वितरण व्यवस्था को कारपोरेट कंपनियों के हवाले करना है। टैरिफ की नयी व्यवस्था से बिजली कामगारों के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है। इससे आम उपभोक्ताओं खासकर किसानों पर भारी बोझ डाला पड़ेगा। इस बिल के बाद किसानों और आम उपभोक्ता को करीब दस रुपया प्रति यूनिट बिजली खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।

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