लखनऊ, 10 मई| उत्तर प्रदेश सरकार पहली बार गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए राज्यों में 2,000 से अधिक चावल मिलों के आधुनिकीकरण का कार्य शुरू करेगी, ताकि तैयार चावल को बेहतर कीमत मिल सके। इस कदम का उद्देश्य राज्य सरकार के खाद्य और पोषण सुरक्षा, रोजगार सृजन और धन सृजन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति आयुक्त, सौरभ बाबू के अनुसार, निजी चावल मिलों का आधुनिकीकरण किया जाएगा और इस संबंध में सरकार द्वारा कुछ अनिवार्य प्रावधान किए जाएंगे। विभाग जल्द ही यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन और मिल मालिकों के साथ बैठक कर उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करेगा।
राइस मिलिंग देश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा कृषि-प्रसंस्करण उद्योग है। राज्य में लगभग 757 बड़ी मिलें हैं जिनकी मिलिंग क्षमता 4 टन प्रति घंटा या उससे अधिक है, जबकि छोटी इकाइयों की संख्या लगभग 1,157 है जिनकी मिलिंग क्षमता 4 मीट्रिक टन प्रति घंटा से कम है।
छोटे पैमाने की मिलें पारंपरिक मशीन से लैस हैं जिसके कारण चावल की गुणवत्ता खराब हो जाती है और एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) के मानदंडों और मानकों को पूरा नहीं करती है।
मशीनरी के उन्नयन, क्षमता निर्माण और आधुनिक तकनीक के उपयोग के साथ, सरकार का लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाले चावल का उत्पादन करना है।
इस उद्देश्य के लिए खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग चावल मिल मालिकों को प्रेरित करेगा और उन्हें प्रौद्योगिकी के उपयोग में संलग्न करेगा। सरकार जल्द ही मानदंड निर्धारित करेगी जिसमें उन चावल मिलों के पैनल में विचार किया जाएगा जो नई मशीनरी का उपयोग करते हैं।
आपको बता दें कि सरकार इसके लिए कोई फंड नहीं देगी, लेकिन राइस मिलर्स को एमएसएमई के जरिए कर्ज लेने का सुझाव दिया जाएगा।