योगी सरकार का बड़ा कदम, उत्तर प्रदेश से खत्म होंगे ये कानून, आप भी जानिए

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योगी सरकार सदियों पुराने कानून (LAW) खत्म करने जा रही है। इसमें सौ वर्ष पुराने नियम कानून (LAW) शामिल हैं। इससे कारोबार करने वाले अपने उद्यमी अपना उद्योग जल्द लगा सकेंगे और उन्हें नियमों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी। आम जनता को भी नियम-कानून (LAW) कम होने से राहत मिलेगी।

CM YOGI

इसके लिए सम्बंधित विभाग अपने यहां इस तरह के मामलों की समीक्षा कर खुद ही बता रहें कि फलां कानून (LAW) को रखा जाए या खत्म किया जाए। या इन्हें दूसरे संबंधित अधिनियम में शामिल कर लिया जाए। ये सभी कवायद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देश पर की जा रही है। CM योदी ने ये काम करने का जिम्मा औद्योगिक विकास विभाग को दिया है।

1920 का कानून (LAW) भी बरकरार

एक कानून (LAW) है…‘यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन -1920’…इस कानून (LAW) को बने सौ साल हो गए। 20 साल पहले तो कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड अलग प्रदेश बन गया। किंतु वन विभाग का यह नियम अभी यूपी में बरकरार है।

यही नहीं 82 वर्षीय पुराना एक और कानून (LAW) है। ‘यूपी रूल्स रेगुलेटिंग ट्रांजिट आफ टिंबर आन द रिवर गंगा एबब गढ़मुक्तेश्वर इन मेरठ डिस्ट्रिक एंड आन इटस ट्रिब्यूटेरिस इन इंडियन टेरिटेरी एबब ऋषिकेश- 1938…’। इसका नाम ही इतना लंबा है और उपयोगिता कितनी है…ये प्रश्न अब सरकार के सामने है।

इन कानून (LAW) की उपयोगिता की हो रही जांच परख

इंडियन फारेस्ट यूपी रूल 1964, यूपी कलेक्शन एंड डिस्पोजल आफ डि्रफ्ट एंड स्टैंडर्ड वुड एण्ड टिंबर रूल्स, यूपी कंट्रोल आफ सप्लाई डिस्ट्रब्यूशन एंड मूवमेंट आफ फ्रूट प्लांटस आर्डर-1975, यूपी फारेस्ट टिंबर एंड ट्रांजिट आन यमुना, टन व पबर नदी रूल्स 1963, यूपी प्रोडयूस कंट्रोल ,यूपी प्रोविंसेस प्राइवेट फारेस्ट एक्ट।

 

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