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लखनऊ।। दुनिया में कई माँ-बाप ऐसे हैं जो एक अदद औलाद के लिए दर-दर भटकते और मिन्नतें

मांगते फिरते हैं कि उनकी गोद भर जाये। तारीख 9 फरवरी 2018, स्थान मुरादाबाद से 15 किमी की

दूरी पर स्थित एक गांव- कुलवाड़ा, समय सुबह 6.30 बजे। अचानक सड़क किनारे झाड़ियों से किसी

बच्चे के रोने की आवाज आई।

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आवाज सुनकर जायदा वहां पहुंची तो उसने देखा- एक फूल सी बच्ची गुलाबी स्वेटर और लाल पायजामे में

औंधे मुँह पड़ी है। बच्ची के पास ही एक मखमली तौलिया भी वहां पड़ा था। ठण्ड काफी अधिक थी। जायदा

ने जल्दी से बच्ची को उठाया और अपने सीने से लगा लिया। करीब 6 महीने की बच्ची थी। फूल से इस बच्ची

के पास सबसे पहले पहुँचने वाली जायदा कहती हैं कि “काश यह बच्ची मेरी होती।”

झाड़ियों में लावारिस हालत में मिली इस बच्ची को मुरादाबाद से रामपुर के राजकीय बाल शिशु गृह भेज दिया

गया है। हालाँकि जायदा के 3 बेटे और 3 बेटियां हैं लेकिन उसने जब इस मासूम फूल सी बच्ची को अपने सीने

से लगाया तब उसे लगा कि जैसे उसने अपनी ही बेटी गोद में लिया है। जायदा ने जब बच्ची के बारे में गांव वालों

को बताया तो गांव की ही यासीन की पत्नी शब्बो ने उससे कहा कि बच्ची हमें दे दो। जायदा मान गईं और उसने

बच्ची को शब्बो की गोद में दे दिया।

शब्बो की गोद में पहले से एक बेटा है, उसे सीने से लगाये घर में चूल्हे किनारे बैठ गयी ताकि बच्ची को गर्मी

मिल सके। शब्बो बताती हैं कि मैं बच्ची को अपना दूध पिलाना चाहती थी, लेकिन मैंने किसी संभावित डर से

नहीं पिलाया क्योंकि मामला पुलिस का हो गया था।

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उसने बच्ची को ऊपर का दूध पिलाया। शब्बो कहती हैं कि घर से थाने तक लगभग 5 से 6 घंटे बच्ची उसी की

गोद में रही। शब्बो कहती हैं कि बच्ची इतनी प्यारी है कि अब उसे छोड़ने का मन नहीं कर रहा है। शब्बो कहती

हैं कि उन्होंने साहब से कहा कि इसे हमें ही दे दो, लेकिन उन्होंने कहा ऐसे किसी को भी बच्चा नहीं दिया जा

सकता। कुंदरकी थाने से मुरादाबाद सीमा तक डायल 100 पर चलने वाले संग्राम यादव और संदीप सिंह को

बच्ची के मिलने की सूचना मिलने पर 6 मिनट में मौके पर पहुंचे थे, तब मामला थाने पहुंचा।

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संग्राम यादव कहते हैं कि, मौके से थाने तक ये बच्ची 5 से 6 घंटे तक रही इस बीच उसे लेने के लिये कई लोग

सामने आये। जिसमें गांव वालों के अलावा पुलिस का एक सिपाही भी था जिसका कहना था कि उसके भाई को

बच्चे नहीं है, अगर उसे यह बच्ची मिल जाती तो उनकी जिंदगी बेहतर हो जाती। यही नहीं जब बच्ची को लेकर

मेडिकल कराने हॉस्पिटल गया तो वहाँ भी एक साहब ने कहा कि बच्ची हमें दे दो। संग्राम यादव ने बताया कि 9

फरवरी को ही बच्ची को बाल कल्याण समिति मुरादाबाद के हवाले कर दिया गया था। कुंदरकी थाने से होकर टीम

जबतक बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष गुलजार अहमद के पास पहुंची तब तक पहले 7-8 दिन में ही 250 से

ज्यादा कॉल आ चुकी हैं।

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बच्ची को गोद लेने के लिए आगे आने वालों में एक CRPF अफसर से लेकर कुछ स्थानीय जोड़े शामिल हैं।

गुलजार कहते हैं कि, फिलहाल 2 महीने तक हम इस बच्ची के असली माँ-बाप का इन्तजार करेंगे। उन्होंने

बताया कि बच्ची को अडॉप्ट करने के लिये फ़िलहाल CRA (सेन्ट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) में पहले

अप्लाई करना होगा। इसके बावजूद भी यह जरूरी नहीं कि आपको यह बच्ची मिल पायेगी, क्योंकि सबसे

पहले जिस बच्चे का नंबर होगा उसे ही अडॉप्ट करना होगा।

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रामपुर के राजकीय बाल शिशु गृह में 6 महीने की बच्ची समेत अन्य 35 बच्चों की देखभाल के लिये तीन

शिफ्ट में दो-दो लड़कियां वहां मौजूद रहती हैं। यहां कुल मिला कर 14 लोगों का स्टाफ है। इन लड़कियों ने

बताया कि हम यहाँ हर बच्चे को नाम से पुकारते हैं। इस बच्ची का नाम परी रखा गया है। इसकी स्माइल

बहुत ही प्यारी है। बच्ची की देखभाल करने वाली जकिया ने बताया कि परी अभी दूध और दाल का पानी

वगैरह ही पी रही है।

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परी परेशान नहीं करती है बस भूख लगने पर थोड़ा रोती है। परी अब बाल गृह में रह रहे बच्चों के बीच अब

घुलने-मिलने लगी है। राजकीय बाल शिशु गृह के एक कर्मचारी ने बताया कि उत्तराखंड के एक व्यक्ति का

फोन आया था जिसने बताया कि वह इस बच्ची को पहचानता है और यह उसके पड़ोस में रहने वाले परिवार

की ही बच्ची है। प्रशासन अब उस व्यक्ति को खोजने में लगा हुआ है।

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