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लखनऊ।। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार से 36 हजार करोड़

रूपये के ‘ऋण मोचन’ पर ‘श्वेत-पत्र’ जारी करने की मांग की है। सपा प्रमुख ने

कहा कि सरकार बनते ही किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा किया गया।

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पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि

उत्तर प्रदेश में 36 हजार करोड़ रूपये के ऋण मोचन पर योगी सरकार को ‘श्वेत पत्र’

जारी करना चाहिये। जिससे सच्चाई सबके सामने आ सके कि किस किसान का

कितना-कितना ऋण मोचन हुआ है। उन्होंने कहा की आज स्थिति यहां तक पहुंच

गयी है कि आलू किसानों की बर्बादी और गन्ना किसानों की बदहाली के साथ-साथ

धान की लूट से ‘अन्नदाता’ आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहा है।

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राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पिछली सपा सरकार में अखिलेश यादव ने खेत-खलिहान

और खुशहाली के लिये बजट का 75 फीसदी हिस्सा गांवों और किसानों की हालत

सुधारने पर खर्च किया था। इतना ही नहीं उन्होंने बजट में किसान-वर्ष का प्रावधान,

चीनी मिलों के बेहतर संचालन और लागत मूल्य की व्यवस्था जैसे उपायों से प्रदेश के

किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया। बीजेपी सरकार ने

जनहित की उक्त सभी योजनाओं में कोई रूचि नहीं ली और उनके प्रति उदासीन बनी रही।

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उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने संकल्प-पत्र के माध्यम से प्रदेश

की जनता को गुमराह करने का काम किया था। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश छोड़कर अन्य प्रदेशों की राजनीति में व्यस्त हो गये हैं। बुनियादी समस्याओं को

दूर करने की जगह शासन-प्रशासन उत्सवों के आयोजन में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि योगी

सरकार बनते ही किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा किया गया।

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उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की उपलब्धियों को बीजेपी सरकार द्वारा नकारा

जाना सिर्फ एक राजनैतिक बेईमानी है। बीजेपी सरकार अपने नकारेपन पर पर्दा

डालने के लिये सपा सरकार के द्वारा कराये गये विकास कार्यों को अपना बताकर

उनका दोबारा उद्घाटन करने की जो परम्परा चला रही है वह राजनीतिक मूल्यों

में गिरावट का ही उदाहरण है।

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राजेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी के 10 माह के शासनकाल में विकास कार्य

पूरी तरह से ठप हो गया है। बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार की दिशा में सरकार

की दिशा और नीति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पायी है। अपराध की बढ़ती घटनाओं से

आम जनता में भय और दहशत का माहौल है। बीजेपी के 10 माह निरर्थक ही हो गये।

बिना किसी विशेष उपलब्धि के जनता का अमूल्य समय बीजेपी सरकार ने बर्बाद कर

दिया। जनता राज्य की बीजेपी सरकार से नाउम्मीदी के भंवर में फंस गयी हैं।

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उन्होंने कहा कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बीजेपी सरकार द्वारा कांटे बोना

कहां की नैतिकता है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुझाव दिया था कि

छोटे-वाहन जो 20 लाख से कम कीमत के हों, उन पर कोई टोल-टैक्स नहीं होना चाहिये,

लेकिन बीजेपी सरकार ने तो जैसे कसम खा रखी है कि वो अखिलेश यादव द्वारा जनहित

में दिये गये सुझावों को भी स्वीकार नहीं करेगी। ऐसा करने पर बीजेपी को अपनी किरकिरी

होने का खतरा महसूस हो रहा है।

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बेरोजगारी दूर करने की कोई नीयत बीजेपी सरकार की नही है। सपा सरकार में रोजगार

की जो व्यवस्था की गई थी उन्हें भी सड़क पर ला दिया है। कानून-व्यवस्था के नियंत्रण

के लिए समाजवादी सरकार ने यूपी डायल 100 और महिलाओं के प्रति अपराध नियंत्रण

के लिये 1090 वूमेन पावर लाइन सेवा शुरू की गई थी लेकिन बीजेपी सरकार ने इन सभी

व्यवस्थाओं को एकदम चैपट कर दिया है। लगता है कि बीजेपी सरकार का बस इतना ही

10 माह का लेखा-जोखा है।

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