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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ ।। औरंगाबाद गांव निवासी राजरानी का अंत्योदय कार्ड बना है। मजदूरी करके बामुश्किल से दो जून की रोटी का इंतजाम हो पाता है। तीन लीटर मिट्टी का तेल मिलता है, लेकिन भोजन बनाने के लिए वह नाकाफी है। उन्होंने उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया, तो उनका नाम केंद्र सरकार की पात्रता सूची में न होने से गैस एजेंसी ने कनेक्शन देने से मना कर दिया।

क्षेत्रीय पूर्ति अधिकारी कार्यालय में गईं, लेकिन उन्होंने भी नाम न होने से कनेक्शन की पात्र से बाहर होने की बात कहकर उन्हें चलता कर दिया। अकेली राजरानी ही नहीं रजनीखंड की सरोजनी और रुचिखंड की कलावती को भी उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं मिल सका है।

राजधानी में 50,100 अंत्योदय कार्डधारकों में 70 फीसद नाम योजना के पात्र गरीबों की सूची से गायब हैं। नाम न होने से गैस एजेंसियां कनेक्शन देने से कतरा रही हैं। केंद्र सरकार की दोनों योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है।

अंत्योदय कार्ड के माध्यम से कोटे की दुकानों पर दो रुपये किलोग्राम गेहूं और तीन रुपये किलोग्राम चावल उन्हें दिया जा रहा है। बावजूद इसके गरीब महिलाओं को योजना के तहत मिलने वाले गैस कनेक्शन को देने से आनाकानी की जा रही है। इसके पीछे अधिकारियों का तर्क यह है कि उनका नाम केंद्र सरकार की ओर से ऑयल कंपनियों को भेजी गई सूची में न होना है।

ऐसे में अब बीपीएल सूची और केंद्र सरकार की सूची पर ही सवाल उठने लगे हैं। कार्ड बनाने में या तो हेराफेरी की गई है या फिर आर्थिक सामाजिक जनगणना करने में ही कहीं चूक हुई है जिसका खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है।

फोटोः फाइल।

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