पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे भव्य रूप में निकाली जा रही है। आज का दृश्य बेहद खास रहा, जब भगवान बलभद्र जी का तालध्वज रथ जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार (मुख्य द्वार) पर पहुंच गया। उनके पीछे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ भी धीरे-धीरे मंदिर की ओर बढ़ रहा है।
हर साल आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि को निकलने वाली रथ यात्रा में तीनों भगवान – श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा – अपने-अपने भव्य रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर जाते हैं।
भगवान बलभद्र का रथ सबसे पहले निकलता है, जिसे तालध्वज कहा जाता है। यह रथ हरे और लाल रंग का होता है और इसमें 14 पहिए होते हैं। जैसे ही रथ सिंहद्वार पर पहुंचा, भक्तों की जय-जयकार गूंज उठी। पूरा वातावरण 'हरि बोल' और 'जय जगन्नाथ' के नारों से गूंज उठा।
देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन उनके भाई बलभद्र के पीछे-पीछे आ रहा था। सुभद्रा जी के रथ की खास बात इसका पीला और काले रंग का संयोजन होता है। भक्त रथ की रस्सी खींचने के लिए उत्साहित नजर आए।
इस पवित्र यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो देश के कोने-कोने से पुरी पहुंचते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, स्वास्थ्य सेवा और शेड की व्यवस्था भी की गई है।
यह रथ यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी मानी जाती है। आने वाले दिनों में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ भी इस पवित्र यात्रा में शामिल होगा।
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