सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर पूर्व सीएम का बयान, कहा आज का दिन इतिहास में महत्वपूर्ण, 1992 में सरकार गिरने का कोई मलाल नहीं

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पालमपुर।। भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा है कि आज का दिन देश के इतिहास में महत्वपूर्ण है।

श्री कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पालमपुर में ही बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक हुई थी जिसमें जब पहली बार राम मंदिर के निर्माण को लेकर रूपरेखा तय की गई थी। उस समय राज्य में 53 विधायकों के साथ हमारी सरकार थी जिसे बाबरी ढांचा गिराये जाने के बाद केंद्र की कांग्रेस सरकार ने रातों-रात हटा दिया था। “आज जो ऐतिहासिक फैसला आया है उसके बाद हमें कोई मलाल नहीं है कि हमारी सरकार चली गई। आज समस्त देशवासी न्यायालय के फैसले के बाद दिल से खुश हैं।”

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ठीक 18 वर्ष पहले 13 से 15 जून को पालमपुर में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राम मंदिर मुद्दे को पार्टी ने अपने एजेंडे में डालकर इस आंदोलन को नया जीवन दिया था। इस ऐतिहासिक बैठक में केंद्र सरकार से प्रस्ताव डालकर मांग की गई थी कि अयोध्या मामले में वही दृष्टिकोण अपनाया जाए जो स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने सोमनाथ मंदिर के बारे में अपनाया था।

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बैठक के समापन पर यहां एक रैली में बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अडवानी सहित सभी वक्ताओं ने माहौल राम-मय कर दिया था। इससे उत्साहित भाजपा मात्र 19 माह में पूरे देश में विहिप को औपचारिक समर्थन देकर ऐसा जनमत तैयार किया जिससे 1990 में हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेशक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा को लोगों ने समर्थन दिया और पार्टी की इन राज्यों में सरकारें बनीं। छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराये जाने के बाद केंद्र की तत्कालीन सरकार ने इन चारों राज्यों में बीजेपी सरकारें भंग कर दी थीं।

प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी मात्र 6 सीटें ही जीत पाई। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद शांता कुमार ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि 1989 में पालमपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐतिहासिक प्रस्ताव पास कर पहली बार राम मंदिर आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। उस समय उनकी सरकार का एक विधायक राम रतन अयोध्या गये थे और वहां से बाबरी मस्जिद का एक पत्थर साथ लेकर आये थे।

उन्होंने कहा “मैंने अपना राजधर्म उस समय भी निभाया था और रामरतन के ऊपर एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन इसके बाद अचानक ही केंद्र सरकार ने हमारी सरकार को हटा दिया गया। हालांकि एफआईआर दर्ज कराने पर मुझे विश्व हिंदू परिषद की बड़ी नाराजगी भी सहनी पड़ी। लेकिन आज के फैसले के बाद मुझे उन घटनाओं पर कोई मलाल नहीं है।”

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