
बिहार में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव इस बार कुछ नए रंगों से भरे होंगे। इसकी वजह है कुछ नए राजनीतिक दलों की एंट्री, जो अब तक की पारंपरिक पार्टियों को चुनौती देने के लिए मैदान में उतरने को तैयार हैं। ये दल बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकते हैं और युवाओं व आम जनता के मुद्दों को नए तरीके से उठाने का दावा कर रहे हैं।
इन नए दलों में कुछ समाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं और पूर्व नौकरशाहों द्वारा बनाए गए संगठन शामिल हैं। इनका दावा है कि वे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को ईमानदारी से उठाएंगे और जनता की आवाज बनेंगे।
कुछ प्रमुख नई पार्टियों का आधार शहरी युवाओं में देखा जा रहा है, जबकि कुछ को गांवों में समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से ये दल तेजी से लोगों तक पहुंच बनाने में जुटे हैं।
हालांकि, बिहार की राजनीति में पहले से ही बड़ी पार्टियों का दबदबा है, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल (यू), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस। लेकिन जनता अब विकल्प चाहती है, और यही कारण है कि नए दलों को भी मौका मिलने की संभावना है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर ये नए दल सही रणनीति अपनाएं और जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाएं, तो आने वाले चुनाव में वे ‘किंगमेकर’ की भूमिका में आ सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि जनता बदलाव चाहती है या फिर एक बार फिर पुराने चेहरों को ही मौका देगी।
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