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सिख गुरु अपने जीवनकाल में जहां भी गए वह हर स्थान पवित्र हो गया। उन जगहों पर आज भव्य गुरुद्वारे बने हुए हैं और सिख धर्म का परचम गर्व से लहरा रहा है। सिख गुरुओं से जुड़े कई प्रसिद्ध गुरुद्वारे आज भी लोगों की सेवा में हैं। पंचकूला के शिवालिक पहाड़ियों में भी एक भव्य गुरुद्वारा है, जो सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ा हुआ है।

आज हम आपको शिवालिक पहाड़ियों में और घग्गर हाजरा नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा नाडा साहिब के बारे में बताऊंगा, जिसकी कहानी बड़े ही दिलचस्प है। दरअसल 1688 में पहाड़ी राजाओं और गुरु गोबिंद सिंह जी के मध्य युद्ध लड़ा गया था। पहाड़ी राजा गुरुजी द्वारा की जा रही सैनिक तैयारियों को अपने लिए खतरा समझते थे। इस कारण वे गुरु जी के विरुद्ध थे। इन्हीं दिनों एक और घटना घटी।

बिलासपुर के पहाड़ी राजा भीम चंद ने अपने पुत्र की बारात को पांवटा से गुजारना चाहा। परंतु गुरु जी ने उसे पोंटा से गुजरने की आज्ञा नहीं दी। दीपचंद ने इसे अपना अपमान समझा और उसने पुत्र के विवाह के पश्चात अन्य पहाड़ी राजाओं की सहायता से गुरु जी पर आक्रमण कर दिया। पोंटा से करीब छह मील दूर बंगानी नामक स्थान पर घमासान लड़ाई लड़ी गई।

गुरु जी का साथ छोड़कर भाग गए थे सैनिक

युद्ध में सैनिक गुरु जी का साथ छोड़कर भाग गए। परंतु ठीक उसी समय सढौरा का मुस्लिम शख्स पीर बुद्धू शाह गुरु जी की सहायता के लिए आ पहुंचा। अपने चार पुत्रों और 700 शिष्यों सहित उनकी सहायता से गुरु जी ने पहाड़ी राजाओं को बुरी तरह परास्त कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी की पहली महत्वपूर्ण विजय थी। इस लड़ाई के पश्चात पोंटा साहिब से आनंदपुर की यात्रा करते हुए गुरु गोविंद सिंह जी पंचकूला में रुके थे और उसी जगह पर जो गुरुद्वारा निर्मित हुआ उसे नाडा साहिब गुरुद्वारा कहा गया। 

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