img

हर तरफ सन्नाटा और पुलिस फोर्स तैनात है, ये नजारा देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बेहद ही सुंदर पहाड़ी शहर जहाँ पुलिस ने धारा एक सौ चौवालीस लागू कर दी गई है। जिसके चलते शहर में पाँच से ज्यादा एक स्थान पर इकट्ठा नहीं हो सकते।

वैसे तो पहाड़ को अमन और चैन के लिए जाना जाता है लेकिन बीते कुछ दिनों से पहाड़ में लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसी आवाज सुनाई दे रही है। जिसके चलते यहाँ का अमन चैन खो गया है।

सड़कों पर लोगों की जगह पुलिस राउंड करती नजर आने लगी है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि उत्तराखंड का एक छोटा सा शहर ध्रुवीकरण की राजनीति का केंद्र बन गया।

उत्तराखंड के पुरोला में इस तनाव की शुरुआत हुई छब्बीस मई को जब जितेंद्र सैनी और उवेद खान ने पुरोला शहर में एक नाबालिग लड़की का अपहरण किया। इसमें लव जिहाद के आरोप भी लगे। पुलिस ने दोनों को अरेस्ट किया। इसके बाद शहर में उनतीस मई को दक्ष पंथी समूहों ने एक बडी रैली का आयोजन किया जिसमें मांग ये उठी की मुसलमान पुरोला छोड़ कर चले जाए।

कथित तौर पर भीड़ की ओर से मुसलमानों की दुकानों पर हमले करने के विडियो भी वायरल हुए। पाँच जून को टिहरी गढवाल प्रशासन को लिखे पत्र में विहिप ने आरोप लगाया, एक विशेष समुदाय के सदस्य जो ज्यादातर आइसक्रीम विक्रेता या स्क्रैप डीलर के रूप में काम करते हैं, हिंदू लड़कियों के लिए खतरा बन गए हैं।

पत्र में आगे कहा गया है कि मुसलमानों को शहर छोडने के लिए दस दिन का समय दिया गया है अन्यथा हिन्दू युवा वाहिनी विरोध के रूप में बीस जून को राजमार्ग को अवरुद्ध कर देगी।

इस बीच कथित तौर पर देवभूमि रक्षा अभियान संगठन की ओर से शहर में पोस्टर लगाए गए जिसमें लव जिहादियों को पंद्रह जून तक अपनी दुकानें खाली करने की चेतावनी दी गई थी।

स्थानीय मीडिया पर आई खबरों की माने तो करीब बयालीस मुस्लिम दुकानदार शहर छोड़ कर भी भाग गए मामले नहीं जब ज्यादा तूल पकडा तो पूर्व विधायक यशपाल को अपनी बेटी की शादी मुस्लिम लड़के से तोड़नी पडी। इसके अलावा पच्चीस साल से पुरोला में रह रहे हैं।

बीजेपी के अल्पसंख्य प्रकोष्ठ के उत्तरकाशी जिला अध्यक्ष मोहम्मद जाहिद ने भी अपने कपडे़ की दुकान बंद कर दी और छह जून को पुरोला छोड़ दिया। पंद्रह जून को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल लव जिहाद के बढ़ते मामलों को लेकर पुरोला में एक महापंचायत बुलाने की तैयारी में थे।

हालांकि उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद महापंचायत की अनुमति देने से इंकार कर दिया और शहर में धारा एक सौ चौवालीस लागू कर दी।

पुलिस ने बोला कि शहर में आने वाली सभी सड़कों पर बैरिगेट्स लगा दिए। बीते दिन शहर में सैंकडों लोग इकट्ठा हुए थे और जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था। जिसमें राज्य में बसने वाले अल्पसंख्यकों के सत्यापन और लव जिहाद में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी।

साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर बड़ा आंदोलन करने की धमकी भी दी गई। बजरंग दल ने महापंचायत को रोकने को हिंदुओं के खिलाफ एक बडी साजिश करार दिया और जिला मजिस्ट्रेट हटाने की भी मांग की।

इस बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने को कहा और इस संबंधित पक्षों को इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस से बचने का निर्देश दिया।

राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि उसने महापंचायत को होने से रोक दिया है जिस पर अदालत ने कहा कि सरकार की अनुमति के बिना कोई सभा आयोजित नहीं की जानी चाहिए।

--Advertisement--