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28 जून को कांग्रेस ने एक लेटर जारी किया, जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति में गेम पलट गया। ये लेटर था टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाने का। सिंहदेव के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ में बीजेपी को करारा झटका लगा। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे टीएस सिंहदेव को पावर देकर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को बैकफुट पर भेज दिया है।

छत्तीसगढ़ उन राज्यों में है जहां कांग्रेस में गुटबाजी कम है। विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को उप-मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की। सिंहदेव के पावर में आने से बीजेपी का समीकरण बिगड़ गया है और वो अपनी चुनावी राजनीति बदलने के लिए मजबूर हो गई है। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

सबसे पहला पॉइंट है भूपेश-सिंहदेव के बीच सुलह। एक महीने पहले तक छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें सामने आ रही थी। सिंहदेव कई बार सीएम बनने की इच्छा भी जता चुके थे। बाबा साहब ने यह तक कह दिया था कि चुनाव से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। सिंहदेव के नाराज होने की खबरों के बीच बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर थी। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के मनमुटाव का बीजेपी फायदा उठाना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने 28 जून को टीएस सिंहदेव को उप-मुख्यमंत्री बनाने का लेटर जारी कर दिया। इसके बाद से सिंहदेव और बघेल की नाराजगी की खबरों पर विराम लग गया।

दूसरे पॉइंट में समझते हैं कि सिंहदेव के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद हालात कैसे बदले। दिल्ली में हुई बैठक के बाद टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाने का लेटर जारी हुआ। जैसे ही सिंहदेव को पावर मिला, वह भूपेश सरकार की तारीफ करने लगे। उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर राज्य में फिर से कांग्रेस की वापसी होती है तो भूपेश बघेल सीएम पद के लिए पहली पसंद होंगे। जिसके बाद भाजपा अपने आपको राज्य में कमजोर समझने लगी। 

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