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कनाडा और भारत के संबंध इन दिनों ठीक नहीं हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के भारत विरोधी अनर्गल बयान से दोनों देशों के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। पहले कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निकाला और फिर भारत ने कनाडा के राजनायिक को चलता कर दिया। भारत ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए आरोपों के लिए कनाडा से सबूत मांगे तो ट्रूडो की हेकड़ी निकल गई। जल्द ही अपने बयान पर सफाई देते नजर आए। इस बीच कनाडा में रहने वाले लाखों पंजाबी भी मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। ऐसे में एक सवाल जो सबके ज़हन में है वो है कि आखिर पंजाबियों की पहली पसंद कनाडा ही क्यों है।

इस वजह से पंजाबियों की पहली पसंद है कनाडा

आपको जानकर हैरानी होगी कि पंजाब के युवा कनाडा में एजुकेशन के लिए प्रतिवर्ष 78 हज़ार करोड़ रुपए लगाते हैं और सबसे खास बात ये है कि कनाडा जाने वाले सभी भारतीय छात्रों में से लगभग 60 % पंजाबी बोलते हैं। पंजाब के ज्यादातर युवा कनाडा ही क्यों जाते हैं? इसकी सबसे बड़ी वजह कनाडा की नागरिकता है।

दरअसल दुनिया के बाकी देशों की तुलना में कनाडा की नागरिकता लेना सबसे आसान है। ये कितना आसान है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कनाडा में कैलगरी, वैंकूवर जैसे 20 से ज्यादा शहर ऐसे हैं जहां हर चौथा शख्स पंजाबी है। कनाडा की कुल आबादी की बात करें तो लगभग 3,82,00,000 हैं और इनमें से 2.6% यानि कि 9,42,170 पंजाबी हैं। पंजाब के लोग ना केवल कनाडा में नौकरी करते हैं बल्कि वहां के बिजनेस कम्यूनिटी में भी उनका अच्छा खासा दबदबा है।

आपको बता दें कि कनाडा जाने वाले पंजाबी युवाओं में ज्यादातर वो हैं जो बारवी के बाद ही वहां जाना चाहते हैं। यहां छात्रों को पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब का भी विकल्प मिल जाता है। कनाडा में हफ्ते भर में 10 से 20 घंटे के पार्ट टाइम जॉब होती है, जिससे छात्रों की पॉकेट मनी निकल जाती है। कनाडा जाने वालों में पंजाबी के अलावा दूसरे भारतीयों की तादाद भी अच्छी खासी है।

 

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