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ये है छत्तीसगढ़ का छहमासी जहां सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए भक्त उमड़ रहे हैं। मंदिर दुर्ग जिले के देवबलौदा में बना है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग भूगर्भ से निकला है। मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण 12वीं 13वीं सदी के बीच हुआ।

जानकारों का कहना है कि मंदिर का निर्माण एक ही व्यक्ति ने छह मासी रात में किया था। इसलिए इसे छह मासी के नाम से भी जाना जाता है। छह माह से रात में बनाया गया है। मंदिर और यह मंदिर जो एक सिरे से शाब्दिक मंदिर है। हमारे बुजुर्गो द्वारा जानकारी मिला है कि यहां पर जो भय था वह मंदिर को रात रात में बनाता था और उसको बहन खाना लेकर आते थे। एक बार मगर का पड़ा कि उसका भाई जो मंदिर बना रहा था उसको बगैर कपड़ा देखकर उसके बहन ने जो बावली में छलांग लगा दिया। अब जैसे बहने लगा है छलांग उसे भाई ने भी लगा दिया तिनका जो मन उनका जो पत्थर से बना हुआ है।

यहां आने से मन को दिल को एक सुकून मिलता है और जो भी आए उनकी सब मनोकामना पूरी हुई है। मंदिर के चारों ओर अद्भुत कारीगरी की गई है, जिसमें देवी देवताओं के प्रतिबिंब देखने को मिलते हैं। मंदिर परिसर में एक कुंड भी बना है, जिसे लेकर मान्यता है कि चाहे जितनी गर्मी पड़े कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है।

खास बात यह है कि पानी का स्त्रोत क्या है, आज तक कोई पता नहीं लगा पाया। बता दें कि देशभर से हर साल करीब 3 लाख लोग मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं। शिवरात्रि के मौके पर यहां मेला भी लगता है। तब यहां लाखों की भीड़ जमा होती है।

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