24 जुलाई को चंद्रयान तीन को एक उम्मीद के साथ लॉन्च किया गया था। उम्मीद थी कि चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इसरो अपने चार साल पहले चंद्रयान टू में की गई कमियों को पूरी करेगा। उम्मीद है कि चांद पर सफल लैंडिंग के बाद भारत दुनिया को अपनी ताकत से वाकिफ कराएगा। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने भारत के 140 करोड़ लोगों की उम्मीदों को पूरा किया है।
चंद्रयान थ्री ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है। चंद्रयान तीन का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है जहां दुनिया का कोई भी देश आज तक सफल लैंडिंग नहीं कर पाया है। इससे पहले सितंबर 2019 में भी इसरो ने चंद्रयान टू को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने की कोशिश की थी मगर तब हार्ड लैंडिंग हो गई थी। जानिए कैसी है वो जगह जहां विक्रम उतरा है।
नासा के मुताबिक, मून का दक्षिणी ध्रुव रहस्य विज्ञान से भरा है। यहां ऐसे गहरे गड्ढे हैं जो अरबों सालों तक सूरज की रोशनी से बचे हुए हैं, जहां टेम्परेचर आश्चर्यजनक रूप से -248 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यदि कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा होगा तो उसे सूर्य क्षितिज की रेखा पर नजर आएगा। वो चांद की सतह से लगता हुआ चमकता नजर आएगा।
इस इलाके का ज्यादातर हिस्सा छाया में रहता है क्योंकि सूरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं। इस कारण यहां तापमान भी काफी कम होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जमे हुए पानी लाखों सालों तक ठंडे ध्रुवीय क्षेत्रों में जमा हुआ होगा और ये वैज्ञानिकों को हमारे सौर मंडल में पानी के इतिहास का विश्लेषण करने और समझने के लिए एक अनूठा नमूना दे सकता है।
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