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Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में आउटसोर्सिंग सेवाओं के प्रबंधन के लिए एक नई संस्था स्थापित करने का वादा अब भी 'दूर की कौड़ी' बना हुआ है। इससे राज्य के लगभग 2 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी अनिश्चितता और शोषण का शिकार हो रहे हैं।

कांग्रेस सरकार के आश्वासनों के बावजूद, ये कर्मचारी निजी एजेंसियों द्वारा लगातार शोषण का शिकार हो रहे हैं। इन एजेंसियों द्वारा अक्सर कर्मचारियों को बहुत कम वेतन दिया जाता है, भुगतान में देरी की जाती है, और भविष्य निधि (PF) तथा कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) जैसे बुनियादी लाभों से भी वंचित रखा जाता है।

दरअसल, एक आउटसोर्सिंग संस्था की स्थापना कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र का एक प्रमुख वादा था, जिसका उद्देश्य निजी एजेंसियों द्वारा किए जा रहे शोषण को समाप्त करना था। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने स्पष्ट रूप से इन कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने और उन्हें उचित वेतन सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।

सत्ता में आने के छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद नई सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह मुद्दा पिछली भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार के समय से चला आ रहा है, जिसने भी इसी तरह के वादे किए थे लेकिन उन्हें पूरा करने में विफल रही थी।

आउटसोर्सिंग कर्मचारी, जो विभिन्न सरकारी विभागों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, नौकरी की सुरक्षा, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभों से वंचित हैं। उनकी मुख्य मांगों में सरकार से सीधे भुगतान, सरकारी प्रणाली में उनका समायोजन (absorption), और श्रम कानूनों का उचित कार्यान्वयन शामिल है।

आउटसोर्सिंग संस्था की स्थापना में यह देरी इन कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है, जो अब अपनी लंबे समय से चली आ रही मांगों के पूरा होने की उम्मीद खो रहे हैं।

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